इंदौर। देशभर में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (Popular Front of India) यानी पीएफआई (PFI) के आतंकी नेटवर्क (Terrorist Network) की जांच के चलते धरपकड़ की गई और 106 गिरफ्तारियां हुईं, जिसमें इंदौर (Indore) से भी तीन को पकड़ा गया। इसमें से एक को सालभर पहले ही घेराव और हंगामे के बाद चूड़ी बेचने वाले युवक के साथ की गई मारपीट के चलते जिलाबदर भी किया था।
कलेक्टर मनीष सिंह (Collector Manish Singh) ने सालभर पहले ही सतर्कता बरतते हुए जिलाबदर की कार्रवाई तो की ही, वहीं संबंधित जांच एजेंसियों को भी इसके बारे में सूचित कर दिया था। प्रशासन की सजगता का ही असर है कि इंदौर में साम्प्रदायिक तनाव भडक़ाने के मंसूबे पूरे नहीं हुए। अन्यथा हिजाब (Hijab) सहित अन्य विवाद के चलते इंदौर में भी टेरर फंडिंग से जुड़े पीएफआई सदस्य दंगा कराने की भी फिराक में थे। एनआईए की टीम ने कल इंदौर सहित देशभर में छापे मारे और 106 गिरफ्तारियां भी की, जिसमें इंदौर के अब्दुल करीम बेकरी, मो. जावेद और अब्दुल खालिद को गिरफ्तार किया गया। सेंट्रल कोतवाली थाना क्षेत्र में एक साल पहले हुए घेराव में भी पीएफआई का नाम सामने आया था।
संगठन में जोड़ रहे थे प्रबुद्ध वर्ग को
पीएफआई से जुड़े जो दस्तावेज सामने आए हैं उसमें मुस्लिम संगठन (Muslim Organization) के वफादार बनाने की योजना भी थी, जिसमें प्रबुद्ध वर्ग को भी जोड़ा जा रहा था। इसमें कई अधिकारियों, नेताओं, डॉक्टर, इंजीनियरों से भी मुलाकात की जाती रही और कुछ एनजीओ और कुछ अजा-जजा से संबद्ध समूहों को भी जोडऩे के प्रयास किए गए।
फैमिली खातों के जरिए होता है करोड़ों का लेन-देन
पीएफआई के लगभग 3 लाख फैमिली खाते बताए जाते हैं, जिनके जरिए करोड़ों रुपए खाड़ी देशों से लेकर अन्य जगह भेजे जाते हैं। ये बैंक खाते परिवारों के सदस्यों के नाम पर खोले जाते रहे और करीब एक दर्जन से अधिक राष्ट्रीयकृत बैंकों में ये खाते खुले हैं। एनआईए की एंटीटेरर विंग लगभग 500 करोड़ रुपए की उस राशि की भी जांच कर रही है जो इन खातों में पिछले सालभर में जमा हुई।
पुलिस कमिश्नर और कलेक्टर का कहना – हम लगातार रहे सतर्क
इंदौर के पुलिस कमिश्नर हरिनारायणचारी मिश्र का कहना है कि सालभर पहले ही चूड़ीवाला विवाद और कुछ मामलों में संगठन ने जो घेराव-हंगामा किया था उसके बाद पीएफआई की सक्रियता सामने आई। नतीजतन इस ग्रुप से जुड़े लोगों पर लगातार निगाह रखी गई और उस दौरान 30 लोगों पर प्रकरण दर्ज किए गए और एक को रासुका और एक को जिलाबदर भी किया गया। इसी तरह कलेक्टर मनीष सिंह का कहना है कि एनआईए की टीम ने कार्रवाई की है। एक साल पहले ही हमें इसकी भनक पड़ गई थी, जिसके चलते पुलिस की सहायता से जिलाबदर की कार्रवाई की गई।
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