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MP में PFI पर लग सकता है प्रतिबंध, कल उगला था PFI नेता ने जहर

April 16, 2022

भोपाल। मध्यप्रदेश में मुस्लिमों के चरमपंथी संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई (PFI) ने मध्य प्रदेश में भी अपने पैर जमा लिए हैं। यही कारण है कि सुरक्षा एजेंसी के रडार पर अब विवादित संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) भी आ गया है। इस संगठन से खरगोन हिंसाके कनेक्शन की जांच भी चल रही है। सूत्रों के अनुसार इंटेलिजेंस ने पीएफआई (Intelligence PFI) की एमपी में सक्रियता बढ़ने पर सरकार को अपनी रिपोर्ट भेजी है अब सरकार जल्द इस संगठन पर प्रतिबंध लगा सकती है।

पीएफआई (PFI) एक इस्लामिक संगठन है इसका गठन 2006 में केरल में हुआ और उसका मुख्यालय दिल्ली में बताया जाता है। मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई हिंसा के बाद आरोप लगे कि इसके लिए फंडिंग PFI ने की थी। इन आरोपों के बाद सुरक्षा एजेंसियों ने इसके कनेक्शन की जांच शुरू की। हाल ही में मध्य प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने आरोप लगाया था कि PFI ने खरगोन में आगजनी और पथराव के लिए फंड दिया था।



मध्य प्रदेश में कई जगह सक्रिय पीएफआई
मध्य प्रदेश पुलिस के एक आला अधिकारी ने स्वीकार किया है कि पीएफआई संगठन ने प्रदेश के ज्यादातर जिलों में पैर पसार लिए हैं। अधिकारी ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया है कि मालवा के ज्यादातर जिलों में संगठन के कार्यकर्ता सक्रिय हैं। निमाड़ के खंडवा-खरगोन सहित इंदौर, उज्जैन, रतलाम, मंदसौर, देवास, शाजापुर पीएफआई संगठन विशेष रूप से सक्रिय है। यही नहीं भोपाल, रायसेन, जबलपुर जैसे शहरों में भी इस संगठन के लोगों की मौजूदगी ज्यादा संख्या में है। पुलिस मुख्यालय के पास पीएफआई की गतिविधियों की जानकारी भी है मगर संगठन पर अभी तक कोई प्रतिबंध नहीं होने से उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा सकी है।

सूत्रों के अनुसार खरगोन हिंसा से तार जोड़ने के साथ प्रदेश में बढ़ रही संगठन की सक्रियता की वजह से इंटेलिजेंस के कान भी खड़े हो गए हैं. उसने एक रिपोर्ट सरकार को सौंपी है। सरकार इस रिपोर्ट के आधार पर अब जल्द ही संगठन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर सकती है।
रिटायर्ड डीजीपी आरएलएस यादव ने कहा हमारा समाज लड़ना नहीं चाहता है कोई लड़ाना चाहता है।

 

हमारी सबसे पुरानी संस्कृति है. ये संस्कृति एक साथ रहने की, अच्छा व्यवहार करने की और एक दूसरे के धर्म को मानने की है। इसके पीछे कुछ लोग और संगठन हैं, जो षड्यंत्र कर रहे हैं। यह स्थानीय कारणों से नहीं हो रहा है। यह देश के लिए बड़ा षड्यंत्र है। हम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ऐसे में दूसरे देश नहीं चाहते कि हम आगे बढ़ें। उन्हें लगता है कि उनका सामान फिर कौन खरीदेगा. अंग्रेजों के समय से स्लीपर सेल बनाये जा रहे हैं। ये लोग हथियार चलाना नहीं बल्कि लोगों को भड़काते हैं। उनमें जहर घोलते हैं। पूरे देश में कई वर्षों से शांति थी, लेकिन अब झगड़े शुरू हो गए हैं। इसमें जिम्मेदारी सरकार की और पुलिस की है। ऐसे लोगों की पहचान कर उन पर कार्रवाई की जाए।

पीएफआई पर यूपी ने उठाई थी प्रतिबंध की मांग
सीएए और एनआरसी के मुद्दों को लेकर उत्तर प्रदेश में जब कई स्थानों पर हिंसा हुई थी तो प्रतिबंध की मांग उठी थी। इस संगठन की जड़ें केरल में ज्यादा गहरी हैं। केरल के साथ देश के करीब दो दर्जनों से ज्यादा जिलों में पीएफआई की जड़े मजबूत हो चुकी हैं। यह संगठन मुस्लिम बहुल इलाकों में ही ज्यादा गतिविधियां संचालित करता है। संगठन की कुछ शाखाएं भी हैं जिनमें महिलाओं की नेशनल वीमेंस फ्रंट और स्टूडेंट्स की कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया बताया जाता है।

बता दें कि गत दिवस अजान बनाम हनुमान चालीसा को लेकर छिड़ी बहस के बीच पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के मुंब्रा शहर अध्यक्ष अब्दुल मतीन शेखानी का एक विवादित बयान चर्चा में है। बता दें कि भड़काऊ भाषण देने के मामले में मुंबई पुलिस ने मतीन शेखानी सहित कुल 31 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस का कहना है कि पीएफआई ने नमाज के बाद तकरीर की इजाजत मांगी थी, लेकिन मुम्ब्रा पुलिस ने यह परमिशन नहीं थी। इसके बाद भी पीएफआई ने तकरीर की और लोगों को भड़काया।

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