भोपाल। प्रदेश में भविष्य निधि कार्यालय में पंजीकृत पीएफ अंशदाताओं की ई-नॉमिनेशन में रूचि नहीं है। यही कारण है कि प्रदेश भर में अभी तक 11,02,565 अंशदाताओं में से 66,623 अंशदाता ही ई-नॉमिनेशन करा पाए हैं। नतीजतन जिन अंशदाताओं का नॉमिनेशन शेष रह गया है उन्हें क्लेम भुगतान में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रदेश में अभी तक सबसे अधिक सागर में 16 तो ग्वालियर में सबसे कम 4.71 फीसदी अंशदाताओं ने ही ई-नॉमिनेशन कराया है। कमोबेश यही हाल प्रदेश के दूसरे शहरों का भी है। उज्जैन में 13.61, जबलपुर में 6.11, इंदौर में 5.06, भोपाल में 4.81 तो ग्वालियर में सिर्फ 4.71 फीसदी अंशदाताओं ने ही ई-नॉमिनेशन कराए हैं।
इसलिए जरूरी है ई-नॉमिनेशन
कोरोना काल में कई ऐसे केस सामने आए हैं जिनमें नॉमिनी की प्रक्रिया पूर्ण नहीं करने से खाताधारक के निधन के बाद क्लेम सेटलमेंट में आश्रितों को कई परेशानियां उठानी पड़ी थीं। आगे से किसी भी खाताधारक के असमय निधन के बाद उनके आश्रितों को क्लेम सेटलमेंट आसानी से हो इसके लिए ईपीएफ और ईपीएस (कर्मचारी पेंशन स्कीम) के लिए ई-नॉमिनेशन का अभियान शुरू किया गया था। हर पीएफ खाताधारक को ऑनलाइन नॉमिनेशन करवाना अनिवार्य है। ईपीएफ नॉमिनेशन स्कीम में कर्मचारियों को कर्मचारी भविष्य निधि कोष, कर्मचारी पेंशन योजना और एम्पलाइ डिपॉजिट लिंक्ड इंश्योरेंस स्कीम में नॉमिनेशन बताना जरूरी है।
प्रदेश में अंशदाताओं के ई-नॉमिनेशन के लिए विशेष मुहिम प्रारंभ की गई है। नियोक्ताओं को भी इसके लिए पूरी जानकारी देने के साथ-साथ जागरूक किया जा रहा है। ई-नॉमिनेशन नहीं होने से अंशदाताओं के पेंशन एवं मृत्यु प्रकरणों के निपटारे में परेशानी होती है। यह नियोक्ता की जिम्मेदारी होती है। यह इसलिए भी जरूरी है ताकि कर्मचारी के न रहने पर उनके आश्रितों को पीएफ पेंशन बिलों के भुगतान के लिए परेशान न होना पड़े। सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को इसके बिना पेंशन प्रकरण का निपटारा नहीं हो पाता।
अजय मेहरा, क्षेत्रीय आयुक्त वर्ग-1, मप्र-छत्तीसगढ़ अंचल
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