नई दिल्ली: एक लंबे वक्त से डीजल-पेट्रोल को जीएसटी के दायरे में लाने की बात हो रही है। हालांकि, इस पर अब तक केंद्र और राज्यों की सहमति नहीं बन सकी है, जिसके चलते अभी भी यह जीएसटी के दायरे से बाहर है। इसे जीएसटी में लाने के लिए केंद्र सरकार लगातार कोशिशें कर रही है और यह भी कह रही है कि राज्यों की मदद के बिना ये मुमकिन नहीं है। इसी बीच पेट्रोल के दाम मुंबई में 108 रुपये के करीब पहुंच चुके हैं। ऐसे में विपक्ष की ओर से केंद्र पर महंगे डीजल-पेट्रोल को लेकर निशाना साधा जा रहा है।
वहीं आम जनता भी महंगी कीमतों से परेशान है। ऐसे में लोगों के मन में ये सवाल भी उठ रहा है कि अगर डीजल-पेट्रोल जीएसटी के दायरे में आ जाता है तो क्या कीमतें कम होंगी? अगर कम होंगी, तो डीजल-पेट्रोल कितना सस्ता हो जाएगा? आइए जानते हैं। मौजूदा समय में डीजल-पेट्रोल पर करीब 60 फीसदी तक का तो सिर्फ टैक्स लगता है। इसमें केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों का हिस्सा होता है।
अगर 16 सितंबर 2021 के डीजल-पेट्रोल के प्राइस को देखें तो पता चलेगा कि आधे से अधिक तो सिर्फ टैक्स और डीलर कमीशन में चला जाता है। डीजल अभी दिल्ली में 88.62 रुपये प्रति लीटर है, जिसमें से डीजल का रेट 41.27 रुपये प्रति लीटर है, जबकि 2.59 रुपये प्रति लीटर डीलर कमीशन है और बाकी का 43.86 रुपये टैक्स है। वहीं अगर बात पेट्रोल की करें तो दिल्ली में इसकी कीमत 101.19 रुपये है। इसमें से 41.10 रुपये पेट्रोल का खर्च होता है और 3.84 रुपये डीलर का कमीशन होता है, जबकि बाकी का 56.25 रुपये टैक्स होता है।
अगर डीजल-पेट्रोल भी जीएसटी के दायरे में आ जाता है तो इस पर टैक्स कम हो जाएगा। जीएसटी के तहत अधिकतम टैक्स 28 फीसदी है तो उम्मीद है कि इस पर भी 28 फीसदी का टैक्स लगे। ऐसे में डीजल पर लगने वाला टैक्स 43.86 रुपये के बजाय 22-24 रुपये के करीब हो जाएगा। वहीं पेट्रोल पर लगने वाला टैक्स 56.25 रुपये के बजाय 25-27 रुपये हो जाएगा। कुछ समय पहले ही आई ECOWRAP की रिपोर्ट के अनुसार जीएसटी के दायरे में आने के बाद पेट्रोल करीब 30 रुपये और डीजल करीब 20 रुपये तक सस्ता हो जाएगा।
यानी ऐसा होने के बाद दिल्ली में पेट्रोल करीब 72 रुपये प्रति लीटर और डीजल करीब 70 रुपये प्रति लीटर हो जाएगा। ऐसा होते ही सबसे पहले राज्यों को भारी नुकसान झेलना पड़ेगा। अभी तक डीजल-पेट्रोल इसी वजह से जीएसटी के दायरे में नहीं आ पाया है, क्योंकि कोई भी राज्य अपना नुकसान नहीं कराना चाहता है। राज्यों की अधिकतर आय डीजल-पेट्रोल पर लगाए जाने वाले टैक्स से ही होती है, इसलिए राज्य पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध कर रहे हैं। इससे केंद्रर सरकार को भी करीब 1 लाख करोड़ रुपये का नुकसान होगा, जो जीडीपी के 0.4 फीसदी के बराबर है।
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