नई दिल्ली: पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) की महंगाई से जनता त्रस्त है. जनता सरकार से उम्मीद लगाई बैठी है. लेकिन ये उम्मीद पूरी होने की बहुत कम संभावना है. क्योंकि तेल उत्पादक देश OPEC ने ऐसा संकेत दिया है, जिससे आने वाले दिनों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में और आग लग सकती है.
दरअसल, फिलहाल भारत में पेट्रोल 118.59 रुपये लीटर पहुंच चुका है. राजस्थान के गंगानगर में पेट्रोल इस रेट पर 21 अक्टूबर को बिक रहा है. वहीं दिल्ली में पेट्रोल 106.54 रुपये प्रति लीटर और मुंबई में 112.44 रुपये लीटर भाव है. मुंबई में डीजल 103.26 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है, जबकि दिल्ली में डीजल का रेट 95.27 रुपये प्रति लीटर है.
ब्रेंट 86 डॉलर प्रति बैरल के पार
फिलहाल कच्चे तेल के भाव में उछाल देखने को मिल रहा है. कच्चा तेल (ब्रेंट) 86 डॉलर प्रति बैरल के पार निकल गया है. इराक के तेल मंत्री एहसान अब्दुल जब्बारी ने कहा कि ब्रेंट का भाव 100 डॉलर प्रति बैरल के पार जा सकता है. ब्रेंट का भाव पिछले एक साल में दोगुना हो चुका है.
इराक के तेल मंत्री के बयान के बाद क्रूड की कीमतों में उछाल देखने को मिल रहा है. वहीं ओपेक ने कहा कि उत्पादन बढ़ाने पर विचार नहीं है. यही नहीं, ठंड बढ़ने के साथ ही क्रूड की मांग में इजाफा होगा. लेकिन OPEC देश दिसंबर तक तेल उत्पादन बढ़ाने के पक्ष में नहीं हैं. फिलहाल 7 साल के ऊंचाई पर क्रूड के भाव नजर आ रहे हैं.
सरकार हरकत में
इधर तेल की बढ़ती कीमतों पर ऑयल एंड गैस इंडस्ट्री के दिग्गजों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चर्चा की है. कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते सिर्फ डीजल-पेट्रोल ही नहीं, बल्कि बहुत सारी अन्य चीजें भी महंगी हो रही हैं.
उल्लेखनीय है कि दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल आयातक भारत अपनी जरूरत का लगभग 85 फीसदी कच्चा तेल मध्य पूर्व और खाड़ी देशों से खरीदता है. हाल के दिनों में कच्चे तेल में उछाल से भारत का तेल आयात बिल कई गुना बढ़ गया है. इससे कोरोना संकट के बीच सरकार की परेशानी बढ़ी है.
भारत अपनी जरूरत का कच्चा तेल इराक, अमेरिका और सऊदी अरब से आयात करता है. सऊदी जहां भारत के लिए पारंपरिक तेल निर्यातक देश रहा है. फिलहाल सऊदी अरब, रूस और अमेरिका दुनिया के सबसे बड़े तेल सप्लायर्स हैं.
मांग बढ़ने के बावजूद उत्पादन में बढ़ोतरी नहीं
वहीं पिछले दिनों पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी (Hardeep Singh Puri) ने सेरा वीक के ‘इंडिया एनर्जी फोरम’ में कहा कि तेल की मांग और ओपेक प्लस (OPEC+) जैसे उत्पादकों की तरफ से होने वाली आपूर्ति में अंतर है. ऐसे में उत्पादन बढ़ाए जाने की जरूरत है.
गौरतलब है कि अप्रैल, 2020 में डिमांड घटने से कच्चे तेल का भाव 19 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया था. तब तेल निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) व रूस सहित अन्य सहयोगी देशों ने उत्पादन घटा दिया था. अब दुनियाभर में ईंधन की मांग तेजी से बढ़ रही है. बावजूद इसके ओपेक व सहयोगी देश उत्पादन नहीं बढ़ा रहे.
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