नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल (petrol-diesel) की कीमतों ने देश में हाहाकार मचाया हुआ है, लेकिन अगर ऐसा कुछ हो जाए कि पेट्रोल (petrol) 75 रुपये और डीजल (diesel) 68 रुपये प्रति लीटर पर मिलने लगे तो लोगों को बहुत बड़ी राहत मिल सकती है।
जी हां, देशभर में पेट्रोल (petrol) का दाम घटकर 75 रुपये और डीजल (diesel) 68 रुपये प्रति लीटर पर आ सकता है। इसके लिए इन्हें गुड्स और सर्विसेज टैक्स (GST) के दायरे में लाना होगा, लेकिन इसके लिए जरूरी राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है। एसबीआई के अर्थशास्त्रियों ने गुरुवार को यह बात कही।
इससे केंद्र और राज्यों के लिए राजस्व का घाटा सकल घरेलू उत्पाद का केवल 1 लाख करोड़ रुपये या 0.4 प्रतिशत होगा। अर्थशास्त्रियों ने इस कैलकुलेशन के लिए कच्चे तेल (Crude Oil) की वैश्विक कीमत 60 डॉलर प्रति बैरल से कम और डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत 73 के स्तर पर माना है।
मौजूदा कर व्यवस्था में हर राज्य अपने हिसाब से पेट्रोल और डीजल पर टैक्स (Tax) लागू करता है और केंद्र अपनी ड्यूटी और सेस (Duty and Cess) अलग से वसूल करता है। पिछले कुछ दिनों से देश के कई शहरों में पेट्रोल की कीमत 100 रुपये प्रति लीटर या इसके पार चल रही है जिसका जिम्मेदार लोग टैक्स को मान रहे हैं। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के ढांचे में न लाना जीएसटी फ्रेमवर्क का एक अधूरा एजेंडा है। केंद्र और राज्य तेल उत्पादों को जीएसटी के तहत लाने का विरोध कर रहे हैं, क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर/ वैट (VAT) उनके लिए कर राजस्व का बड़ा स्रोत है।
उल्लेखनीय है कि फिलहाल राज्य अपनी जरूरतों के हिसाब से वैट, सेस, अतिरिक्त वैट या सरचार्ज लगाते हैं। कच्चे तेल की कीमतों, ट्रांसपोर्टेशन चार्ज, डीलर कमीशन, फ्लैट एक्साइज ड्यूटी को ध्यान में रखते हुए इसे लगाया जाता है। डीजल के लिए डीलर कमीशन 2.53 रुपये और पेट्रोल के लिए 3.67 रुपये है। पेट्रोल पर सेस 30 रुपये और डीजल पर सेस 20 रुपये है, जो कि केंद्र और राज्य सरकारों में बराबर बंटता है। (एजेंसी, हि.स.)
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