नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल के दाम में हालिया बढ़ोतरी से पूरे देश में हाहाकार मचा हुआ है। देश के कई शहरों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। कई शहरों में लोग डीजल करीब 90 रुपये प्रति लीटर खरीदने को मजबूर हैं। पेट्रोल-डीजल के दाम तीन कारणों से बढ़े हैं। एक, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम (Crude Oil Prices) लगातार बढ़ रहे हैं।
दूसरा, केंद्र और राज्य सरकारें भारी-भरकम टैक्स (Tax) वसूल रही हैं। तीसरा, पूरी दुनिया में आर्थिक गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर लौटने लगी हैं। क्रूड ऑयल की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह करीब 70 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गसा है। केंद्रीय पेट्रोलियम व प्राकृतिक गैस मंत्री धर्मेंद्र प्रधान (Dharmendra Pradhan) भी कई बार कह चुके हैं कि तेल उत्पादक देशों की मनमानी से पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ रहे हैं।
भारत अपनी जरूरत का 84-85 फीसदी क्रूड ऑयल आयात करता है। क्रूड ऑयल आयात करने के मामले में अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा आयातक देश है। इनमें से करीब 60 फीसदी सिर्फ अरब देशों से आयात किया जाता है। उत्पादक देशों की ओर से क्रूड ऑयल के उत्पादन में कटौती और कीमत में कृत्रिम उछाल की स्थिति पैदा किए जाने से भारत जैसे उपभोक्ता देशों के आर्थिक स्वास्थ्य पर सीधा असर पड़ता है।
ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्ट कंपनीज प्लस (OPEC+) देशों की ओर से कम क्रूड उत्पादन किए जाने से भारत पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है। इन्हीं परिस्थितियों से उबरने के लिए मोदी सरकार वैकल्पिक रणनीति अपनाने जा रही है। केंद्र सरकार ने देश की ऑयल रिफायनरी कंपनियों से कहा है कि वे क्रूड ऑयल के आयात के डायवर्सिफिकेशन पर विचार करें। सूत्रों की मानें तो इसके पीछे सरकार का मकसद मिडिल ईस्ट देशों के मनमाने रवैया को खारिज करना है।
भारत ने गुएना और मैक्सिको से शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रैक्ट के लिए क्रूड ऑयल आयात करने की बातचीत शुरू कर दी है। मैक्सिकों से भारत 60 लाख टन क्रूड आयात कर रहा है। तैयारी की जा रही है कि सरकार खाड़ी देशों से अलग उचित कीमत पर क्रूड ऑयल आयात कर सके। भारत ने अमेरिका के ट्रंप प्रशासन की ओर से ईरान पर लगाए गए प्रतिबंध के बाद क्रूड ऑयल लेना बंद कर दिया था। चालू वित्त वर्ष के दौरान भारत ने ईरान से क्रूड ऑयल आयात शून्य कर दिया है।
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