नई दिल्ली । केंद्र सरकार (Central Government) ने भले ही वर्ष 2021 में पेट्रोल और डीजल पर से उत्पाद शुल्क (VAT Petrol Diesel Petrol Price) में कटौती की हो लेकिन अपवाद स्वरूप ओडिशा और पंजाब (Odisha-Punjab) को छोड़ अब तक किसी भी राज्य ने अपने यहां वैट (VAT) कम करने का निर्णय नहीं लिया है। जबकि सभी बीजेपी (BJP) शासित राज्य ईंधन पर मूल्य वर्धित कर (वैट) में कटौती कर चुके हैं । वित्त राज्य मंत्री डॉ. भागवत कराड (Dr. Bhagwat Karad) ने एक बार फिर सभी का ध्यान इस ओर आकृष्ट किया है।
उन्होंने कहा है कि ”नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले साल दीपावली पर पेट्रोल और डीजल पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क की दरों में क्रमश: पांच और 10 रुपये प्रति लीटर की कटौती की थी, तब प्रधानमंत्री ने देश के तमाम मुख्यमंत्रियों से आह्वान किया था कि वे भी पेट्रोलियम पदार्थों पर राज्यों के कर घटाएं.” कराड ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विपक्षी दलों पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया,”जिन राज्यों में भाजपा की सरकार है, वहां तो (प्रधानमंत्री के आह्वान पर) पेट्रोल-डीजल पर कर घटा दिए गए, लेकिन गैर भाजपा शासित सूबों में पेट्रोलियम पदार्थों पर करों में कटौती नहीं की गई ।
उन्होंने दावा किया कि ”भाजपा शासित मध्यप्रदेश की तुलना में महाराष्ट्र में पेट्रोल-डीजल के दाम ‘बहुत ज्यादा’ हैं”। वाईएस जगन मोहन रेड्डी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर वैट में कटौती करने से इनकार कर चुकी है और यहां तक कि इस मुद्दे पर अपना रुख स्पष्ट करने वाले अखबारों में विज्ञापन भी प्रकाशित किए।
आम आदमी पार्टी (आप) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार ने अभी तक ईंधन पर वैट में कटौती की घोषणा नहीं की है। दिल्ली के विपक्ष – जिसमें भाजपा और कांग्रेस शामिल हैं – दोनों ने करों में तत्काल कमी की मांग की है। वैट में कटौती की घोषणा नहीं करने के कारण से अब तक नई दिल्ली की भाजपा इकाई कई दफे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन भी कर चुकी है ।
इसी प्रकार से अन्य गैर-बीजेपी शासित राज्यों की तरह, झारखंड का भी ईंधन करों में कटौती के बारे में घोषणा करना बाकी है। विपक्षी बीजेपी और पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन ने हेमंत सोरेन सरकार पर वैट घटाने की मांग को लेकर दबाव बनाया है. लेकिन मुख्यमंत्री सोरेन डीलर्स एसोसिएशन की मांग को मानने के लिए अब तक तैयार नहीं हुए हैं। ऐसे ही भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-मार्क्सवादी (CPI-M) के नेतृत्व वाली सरकार ने स्पष्ट किया है कि उसकी वैट में कटौती की कोई योजना नहीं है। वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने तर्क दिया कि केंद्र ने ईंधन करों में मामूली कमी की है। बालगोपाल ने ईंधन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ देशव्यापी विरोध में केंद्र के उत्पाद शुल्क में कटौती को एक “अस्थायी और चेहरा बचाने वाला उपाय” करार दिया।
शिवसेना के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने भी अब तक कई बार साफ बता दिया है कि वह पेट्रोल और डीजल पर वैट कम नहीं करेगी। तर्क दिया कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती के परिणामस्वरूप नवंबर 2021 से मार्च 2022 तक की अवधि के लिए 1,700 करोड़ का नुकसान उठाना होगा। राज्य, जो 6.15 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा के सार्वजनिक ऋण से दुखी है, उसके पास राजस्व हानि से प्रभाव को संभालने के लिए कुशन नहीं है क्योंकि यह पहले से ही राजस्व और व्यय में बेमेल के साथ संघर्ष कर रहा था।
केंद्र की कटौती के बावजूद, राजस्थान अभी भी देश के सबसे महंगे पेट्रोल और डीजल की कीमतों वाला राज्य है। द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) के एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर वैट में कटौती की घोषणा नहीं की है। हालांकि यहां विपक्षी पार्टी का यहां सत्ताधीन पार्टी पर आरोप है कि उन्होंने ईंधन की कीमतों में कमी डीएमके के चुनावी घोषणापत्र का हिस्सा था, लेकिन अब सत्ता में रहते हुए (DMK) अपने वादे से मुकर गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने उत्पाद शुल्क में कटौती के केंद्र के फैसले को “मात्र दिखावा” करार दिया है । टीएमसी के महासचिव और प्रवक्ता कुणाल घोष ऐसा करने से साफ मना करते नजर आए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved