नई दिल्ली: रूस की तरफ से यूक्रेन पर हमला किये जाने के बाद वैश्विक स्तर पर इसका अलग-अलग तरह से असर पड़ रहा है. इंटरनेशनल मार्केट में कच्चा तेल सात साल के हाई लेवल 103.78 डॉलर (Crude Oil Price) पर पहुंच गया है. इससे पहले अगस्त 2014 में क्रूड ऑयल का दाम 105 डॉलर प्रति बैरल तक गया था. तेल के दामों में तेजी का असर आने वाले समय में घरेलू बाजार में देखने को मिलेगा.
दो से तीन चरण में लागू होगी बढ़ोतरी!
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार जानकारों का कहना है कि 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होने के बाद पेट्रोल और डीजल के रेट में 15 रुपये तक की बढ़ोतरी संभव है. हालांकि इसमें राहत वाली बात यह रहेगी कि कीमतों में बढ़ोतरी तेल कंपनियों की तरफ से दो से तीन चरण में लागू की जाएगी. आइए जानते हैं वो तीन बड़े कारण जिनकी वजह से पेट्रोल-डीजल महंगे हो सकते हैं…
कारण नंबर-1 : पिछले करीब ढाई महीने से कच्चे तेल की कीमत में 27 प्रतिशत की तेजी आ चुकी है. क्रूड का दाम बढ़कर 103 डॉलर के पार पहुंच गया है. भारत अपनी तेल तेल जरूरत का 85 प्रतिशत आयात करता है. क्रूड ऑयल के रिकॉर्ड लेवल पर पहुंचने के बाद पेट्रोल-डीजल के भाव में इजाफा तय माना जा रहा है.
कारण नंबर-2 : देश की बड़ी तेल कंपनियों ने दिवाली के बाद पेट्रोल और डीजल के रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया है. उस समय से अब तक कच्चा तेल 20 डॉलर प्रति बैरल से भी ज्यादा महंगा हो गया. कीमतें स्थिर रखने से कंपनियों के प्रॉफिट पर असर पड़ रहा है. फिलहाल दिल्ली में पेट्रोल 95.41 रुपये और डीजल 86.67 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है। इस कारण भी तेल कंपनियां कीमतें बढ़ा सकती हैं.
कारण नंबर-3 : रूस-यूक्रेन युद्ध से कच्चे तेल के उत्पादन और आपूर्ति पर असर पड़ेगा. रूस दुनिया का बड़ा तेल उत्पादक देश है और प्राकृतिक गैस का निर्यातक है. भारत इन दोनों ही चीजों का आयात करता है. ऐसे में आने वाले समय में कच्चे तेल की कीमतों में और तेजी का अनुमान है. जानकारों का कहना है युद्ध लंबा चला तो कच्चे तेल की कीमत 120 डॉलर तक पहुंच सकती हैं.
सीएनजी और रसोई गैस भी होगी महंगी!
प्राकृतिक गैस की आपूर्ति बाधित होने से आने वाले समय में घरेलू बाजार में रसोई गैस और सीएनजी के दाम में भी तेजी आने की संभावना है. जानकारों का मानना है कि नेचुरल गैस और सीएनजी के रेट भी 10 से 15 रुपये तक बढ़ सकते हैं.
बाधित नहीं होगी तेल की आपूर्ति
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार एक सरकारी अधिकारी ने दावा किया कि रूस और यूक्रेन के युद्ध के बीच भारत की तेल आपूर्ति व्यवस्था पर कोई असर नहीं हुआ है. उन्होंने दावा किया यदि लड़ाई तेज होती है तब भी आपूर्ति पर असर नहीं पड़ेगा. हमारे आपूर्तिकर्ता पश्चिम एशिया, अफ्रीका और उत्तरी अमेरिका में हैं. उन पर इस हमले का असर नहीं है.
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