नई दिल्ली। पेट्रोल-डीजल (Petrol-Diesel) पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में कमी(reduction in excise duty) के बाद राज्यों से की गई सरकार की अपील का असर दिखने लगा है. केंद्र सरकार(central government) ने जहां, डीजल पर 10 रुपये तो पेट्रोल पर 5 रुपये एक्साइज ड्यूटी कम की है वहीं एक के बाद एक बीजेपी शासित राज्यों ने वैट घटाए (BJP ruled states reduce VAT)जाने का ऐलान करना शुरू कर दिया है. अब तक 6 बीजेपी शासित राज्यों ने वैट कम किए (6 BJP ruled states reduced VAT) जाने की घोषणा कर दी है वहीं एक राज्य ने जल्द ही आदेश जारी करने की बाद कही है.
विपक्षी दलों के लिए चुनौती
भारत सरकार द्वारा डीजल और पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने के बाद एक के बाद बीजेपी शासित राज्य भी वैट कम किए जाने की घोषणा कर रहे हैं. जिसकी वजह से निश्चि ही गरीब और मध्यम वर्ग को काफी मदद मिलेगी. सरकार का कहना है कि ये फैसला से पूरे इकोनॉमिक साइकिल को और स्पीड देगा. हालांकि, डीजल और पेट्रोल पर वैट की दरों को बहुत ज्यादा रखते हुए गरीबों, किसानों और मध्यम वर्ग की देखभाल करने का दिखावा करने वाले कई विपक्षी राज्यों की तरफ से वैट कम करते हुए और राहत दिया जाना बाकी है.
क्या वैट कम करेंगे विपक्ष शासित राज्य?
बता दें, दिल्ली में पेट्रोल पर वैट 30% है तो मुंबई में 26% और एडीशनल 10.12/लीटर है. वहीं कोलकाता में 25% या 13.12/लीटर जो भी अधिक हो और हैदराबाद में 35.20 प्रतिशत तक वैट लगाया जा रहा है. वहीं कांग्रेस शासित राजस्थान में वैट की दरें 36 प्रतिशत प्लस 1,500 रुपये/केएल है. डीजल में वैट विपक्षी शासित राज्यों में बहुत ज्यादा है, इसकी तुलना आप भाजपा शासित गुजरात से कर सकते हैं. गुजरात में वैट दर सिर्फ 20% है. कुल मिलाकर अब समय आ गया है कि विपक्षी शासन वाले राज्य केंद्र के इस फैसलो को आगे बढ़ाएं और पेट्रोल व डीजल दोनों पर वैट की दरों को उसी के अनुरूप कम करें. ऐसा नहीं होता है तो जनता के सामने उनके कोरे दिखावे की पोल खुल जाएगी.
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