भोपाल। सुप्रीम कोर्ट ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले 22 विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए दायर याचिका खारिज कर दी है। चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम की तीन सदस्यीय पीठ ने अपने आदेश में कहा कि याचिका अब सारहीन हो चुकी है, इसलिए खारिज की जाती है। जबलपुर से कांग्रेस विधायक विनय सक्सेना की ओर से दायर याचिका में कहा गया कि मार्च 2020 में कांग्रेस के 22 विधायकों को भाजपा ने बेंगलुरु में ले जाकर रखा। 10 मार्च 2020 को विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष को अपने इस्तीफे भेज दिए। कांग्रेस ने 13 मार्च को विधानसभा अध्यक्ष के समक्ष इस्तीफे भेजने वाले विधायकों को अयोग्य घोषित करने के लिए याचिका दायर की। विधानसभा अध्यक्ष ने विधायकों के इस्तीफे तो मंजूर कर लिए, लेकिन अयोग्यता पर विचार नहीं किया। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक कृष्ण तन्खा ने तर्क दिया कि एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने वाले ऐसे विधायक, जो अपनी सदस्यता से भी इस्तीफा दे देते हैं, ऐसे विधायकों को मंत्री नहीं बनाया जा सकता है। भाजपा सरकार में ऐसे 12 विधायकों को मंत्री बना दिया गया। महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने कहा कि प्रदेश में उपचुनाव हो जाने के कारण याचिका सारहीन हो चुकी है। सुनवाई के बाद याचिका को सारहीन पाते हुए खारिज कर दिया गया।
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