नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के गाजियाबाद (Ghaziabad) में आयोजित होने वाली ‘धर्म संसद’ (‘Dharma Sansad’) के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दायर की गई है। कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले कुछ पूर्व नौकरशाहों और सामाजिक कार्यकर्ताओं से सोमवार को कहा कि वे इसे तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए ईमेल भेजें। याचिका में ‘मुसलमानों के नरसंहार’ (Genocide of Muslims) का आह्वान किए जाने का आरोप लगाया गया है।
याचिका दायर करने वाले कुछ पूर्व नौकरशाहों की ओर से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) ने चीफ जस्टिस संजीव खन्ना (Chief Justice Sanjeev Khanna) और जस्टिस संजय कुमार (Justice Sanjay Kumar) की बेंच से कहा कि याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने की आवश्यकता है। चीफ जस्टिस खन्ना ने कहा, ‘‘मैं इस पर विचार करूंगा। कृपया ई-मेल भेजें।’’
भूषण ने कहा कि मुसलमानों के नरसंहार का सार्वजनिक तौर पर आह्वान किया गया है और इस याचिका पर तत्काल सुनवाई की जरूरत है, क्योंकि ‘धर्म संसद’ मंगलवार से शुरू होगी।
मंगलवार से शनिवार तक होनी है धर्म संसद
‘यति नरसिंहानंद फाउंडेशन’ द्वारा ‘धर्म संसद’ का आयोजन गाजियाबाद के डासना स्थित शिव-शक्ति मंदिर परिसर में मंगलवार से शनिवार तक होना है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी सक्षम और उपयुक्त प्राधिकारियों को सांप्रदायिक गतिविधियों और घृणास्पद भाषणों में लिप्त व्यक्तियों या समूहों के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेते हुए कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। कार्यकर्ताओं और पूर्व नौकरशाहों ने सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश की ‘जानबूझकर अवमानना’ करने का आरोप लगाते हुए गाजियाबाद जिला प्रशासन और उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ एक अवमानना याचिका दायर की है।
याचिकाकर्ताओं में कार्यकर्ता अरुणा रॉय, रिटायर्ड आईएएस (भारतीय प्रशासनिक सेवा) अधिकारी अशोक कुमार शर्मा, पूर्व आईएफएस अधिकारियों देब मुखर्जी एवं नवरेखा शर्मा तथा अन्य शामिल हैं।
उत्तराखंड के हरिद्वार में इससे पहले आयोजित ‘धर्म संसद’ में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण दिए जाने के कारण विवाद खड़ा हो गया था। इस मामले में यति नरसिंहानंद और अन्य सहित कई लोगों के खिलाफ आपराधिक मुकदमा चलाया गया।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved