जबलपुर। मप्र हाईकोर्ट ने वह जनहित याचिका खारिज कर दी है, जिसमें बुरहानपुर वार्ड नंबर-15 नगहिरी में पीएम आवास योजना के तहत अपात्रों को मकान आवंटित किये जाने का आरोप लगाया गया था। चीफ जस्टिस रवि विजय मलिमठ व जस्टिस पुरुषेन्द्र कौरव की युगलपीठ के समक्ष आवेदक की ओर से यह साबित नहीं हो सका कि उक्त आवंटन अपात्रों को हुआ। जिस पर युगलपीठ ने इसे जनहित याचिका का दुरुपयोग मानते हुए 25 हजार की कॉस्ट लगाते हुए दायर याचिका खारिज कर दी। युगलपीठ ने उक्त जुर्माने की राशि एक सप्ताह में कोरोना आपदा अधिवक्ता कल्याण कोष में जमा किये जाने के निर्देश दिये है।
यह जनहित याचिका बुरहानपुर निवासी शहजाद अख्तर उर्फ गुड्डू मौलाना की ओर से दायर की गई थी। जिसमें कहा गया था कि पीएम आवास पाने के लिये लभ्यार्थियों ने झूठे हलफनामे दिये और मिलीभगत से उक्त मकान हासिल किये जो कि जनता पैसों का दुरुपयोग हुआ। आवेदक का कहना है कि उक्त मकान बेघरों व सबसे निचले वर्ग के लोगों को उपलब्ध कराये जाने थे, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। जिनके पक्के मकान है, उन्हें उक्त योजना का लाभ दिया गया। मामले में आवेदक यह साबित करने में नाकाम रहा कि जिन लोगों को उक्त योजना का लाभ मिला, उनके पास पक्के मकान उनके नाम पर दर्ज है या नहीं, सिर्फ तिरपाल व घासपूस से बने मकानों का दावा ही आवेदक कर सका। जबकि उक्त योजना ऐसे ही गरीब वर्ग के लोगों के लिये बनाई गई है। सुनवाई पश्चात् न्यायालय ने बिना तथ्यों के दायर याचिका को जनहित का दुरुपयोग मानते हुए उसे खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 25 हजार रुपये की कॉस्ट लगाई।
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