इंदौर, राजेश ज्वेल। रियल इस्टेट कारोबारियों को राहत देने के लिए शासन स्तर पर अब जल्द ही कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। इंदौर के प्रस्तावित मास्टर प्लान में शामिल 79 गांवों में विकास अनुमतियां लम्बे समय से ठप पड़ी हैं और धारा 16 के तहत भी चुनिंदा अनुमतियां ही भोपाल स्तर पर मंजूर हो सकीं। अब संचालक के तबादले के बाद धारा 16 में बरती जा रही सख्ती को कम किया जाएगा और तय समय सीमा में अनुमतियां मिलेंगी और यह भी विचार किया जा रहा है कि संचालनालय भोपाल को फाइलें मंजूरी के लिए भेजने की बजाय इंदौर स्थित नगर तथा ग्राम निवेश कार्यालय को ही अधिकार दे दिए जाएं। फिलहाल सैकड़ों अभिन्यास इन 79 गांवों में मंजूरी के लिए भोपाल स्तर पर ही लम्बित पड़े हैं, जिसके चलते इंदौर के चारों तरफ तेजी से जो विकास होना था, वह भी अवरुद्ध हो गया और डायरियों पर माल बेचने से लेकर कई विसंगतियां अलग उत्पन्न हो गईं।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पिछले दिनों ही 30 फीसदी तक कम्पाउंडिंग, रजिस्ट्री के साथ ही नामांतरण के अलावा शहरों के मास्टर प्लान जल्द घोषित किए जाने जैसे कई मुद्दों पर नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग से जानकारी ली और अभी सोमवार को उनका इंदौर का पहला दौरा भी है, जिसमें वे हुकमचंद मिल श्रमिकों से भेंट के साथ आला अफसरों के साथ ब्रिलियंट कन्वेंशन सेंटर में आयोजित संभागीय समीक्षा में भी शामिल होंगे। इस समीक्षा बैठक के लिए मुख्यमंत्री ने लगभग 2 घंटे का समय दिया है। अभी 10 संभागों के लिए मुख्यमंत्री ने अपर मुख्य सचिव स्तर के आला अधिकारियों को जिम्मेदारी दी है और इंदौर संभाग के लिए मलय श्रीवास्तव नियुक्त किए गए हैं। वे भी इस बैठक में मौजूद रहेंगे और नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग प्रमुख नीरज मंडलोई सहित अन्य अफसर-जनप्रतिनिधि भी रहेंगे, जिसमें इंदौर के आगामी मास्टर प्लान, टीडीआर पॉलिसी सहित रोड नेटवर्क, फ्लायओवरों के निर्माण, मेट्रो सहित महत्वपूर्ण प्रोजेक्टों पर चर्चा होगी, वहीं इंदौर के प्रस्तावित मास्टर प्लान 2041 के प्रारूप प्रकाशन पर भी चर्चा होना है, जिसकी तैयारी नगर तथा ग्राम निवेश ने कर रखी है।
प्रमुख सचिव मंडलोई से पूछने पर उन्होंने बताया कि 79 गांवों में धारा 16 की अनुमतियों के संबंध में भी निर्णय लिया जा रहा है। क्रेडाई इंदौर से भी इस संबंध में पत्र प्राप्त हुआ है, जिसमें अभिन्यास मंजूरी पर रोक के चलते शहर की प्रगति अवरुद्ध होने की बात कही गई है। प्रमुख सचिव का कहना है कि अब धारा 16 के तहत जल्द अनुमतियां जारी हों, ऐसी व्यवस्था की जा रही हैं, साथ ही इसकी समयसीमा भी तय होगी और यह भी संभव है कि सभी फाइलों को मंजूरी के लिए भोपाल बुलवाने की बजाय इंदौर स्तर पर ही इसके अधिकार दे दिए जाएं। उल्लेखनीय है कि 79 गांवों में ही सबसे अधिक रहवासी और अन्य प्रोजेक्ट बिल्डर-कालोनाइजरों द्वारा लाए जा रहे हैं, मगर अभिन्यास मंजूरी ना मिलने के चलते ये प्रोजेक्ट ठप पड़े हैं और कुछ ही चुनिंदा प्रकरणों को भोपाल स्तर पर जमावट के आधार पर मंजूरी मिली है और अन्य सारी फाइलें लम्बित पड़ी हैं। अब इस संबंध में जल्द ही महत्वपूर्ण निर्णय होगा, जिससे रियल इस्टेट कारोबार को भी गति मिलेगी। अभी डायरियों पर माल बेचने से लेकर कई अन्य विसंगतियां भी इस कारण कारोबार में आ गईं।
फाइलें निपटाए इससे पहले इंदौरी अफसर को दिलवा दिया चार्ज
इंदौर में पदस्थ श्रमायुक्त श्रीकांत बनोठ को अस्थायी रूप से संचालक नगर तथा ग्राम निवेश का अतिरिक्त प्रभार सौंपा है और कल शाम उन्हें भोपाल बुलाकर चार्ज भी आला अफसरों ने दिलवा दिया। दरअसल इस पद पर विवादित अफसर मुकेशचंद्र गुप्ता की नियुक्ति थी, जिन्हें प्रमुख सचिव आर्थिक एवं सांख्यिकी बनाकर भेजा गया है। इंदौर के जमीनी मामलों में गुप्ता की विशेष रुचि रही और धारा 16 के भी चुनिंदा प्रकरणों को मंजूरी दी गई। अग्निबाण ने भी लगातार इन गड़बडिय़ों को उजागर किया और अभी कुछ लम्बित फाइलों को उनके द्वारा निपटाने के प्रयास भी किए जा रहे थे, जिसके चलते फटाफट शासन आदेश का पालन करवाते हुए इंदौरी अफसर को चार्ज दिलवाया। इंदौर के मास्टर प्लान के प्रारूप प्रकाशन की बजाय मनमाने तरीके से अनुमतियां देने और भू-उपयोग परिवर्तन के भी कई निजी मामले निपटाए गए, वहीं प्रमुख सचिव सहित अन्य अधिकारियों से भी तत्कालीन संचालक आयुक्त की पटरी नहीं बैठ रही थी। उनकी रवानगी से इंदौरी रियल इस्टेट कारोबारी भी खुश हैं।
मास्टर प्लान प्रारूप प्रकाशन से पहले रोड नेटवर्क ड्राफ्ट
इंदौर का मास्टर प्लान पहले 2035, उसके बाद 2041 के मान से तैयार करवाया गया। मगर विधानसभा चुनाव के चलते प्रारूप का प्रकाशन नहीं हो सका। अब नवागत मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से अपील की जा रही है कि जल्द ही प्रारूप का प्रकाशन कर दिया जाए, ताकि अवरुद्ध विकास को गति मिल सके। इसके साथ ही यह प्रयास भी किए जा रहे हैं कि जब तक नया मास्टर प्लान अमल में नहीं आता, उसके पहले धारा 16 के तहत जो अनुमतियां दी जाना है और उसकी प्रक्रिया भी आसान की जा रही है उसके लिए रोड नेटवर्क का ड्राफ्ट भी नगर तथा ग्राम निवेश जारी कर सकता है, ताकि उसके मान से अभिन्यास मंजूर हो सके। अभी जमीन मालिकों को यह जानकारी नहीं होती कि उनके द्वारा जो प्रोजेक्ट तैयार किया गया है उसे अनुमति मिलेगी अथवा नहीं। चूंकि नगर तथा ग्राम निवेश ने इंदौर के प्रस्तावित मास्टर की सभी तैयारियां कर ली है और उसके पास मेट्रो, एयरपोर्ट से लेकर तमाम प्रोजेक्टों की जानकारी है और नेटवर्क भी मौजूद है। लिहाजा उसके आधार पर अनुमतियों को देने में कोई परेशानी नहीं होगी।
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