नई दिल्ली: राशन डीलरों के संगठन ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर राशन की दुकानों में शराब बेचने की अनुमति मांगी है. ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन की ओर से यह पत्र खाद्य एवं आपूर्ति मंत्रालय के प्रधान सचिव सुधांशु पांडे को 20 सितंबर को भेजा गया है.
अपनी मांगों पर विचार करने के लिए संगठन के महासचिव विश्वंभर बसु ने पत्र की एक प्रति केंद्रीय खाद्य मंत्री पीयूष गोयल, केंद्रीय वित्त सचिव, केंद्रीय राजस्व सचिव, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण और खाद्य मंत्रालय और खाद्य राज्य मंत्री के साथ-साथ सभी राज्यों के आयुक्त और खाद्य सचिव को भी भेजी है.
राशन डीलरों का दावा है कि देश की राशन की दुकानों को बचाने के लिए केंद्र सरकार को जरूरी कदम और फैसले लेने चाहिए. राज्य सरकारों को भी आगे आना चाहिए, इसलिए उन्होंने केंद्र सरकार से राशन की दुकानों से लाइसेंसी शराब बेचने के लिए आवेदन किया है.
केंद्र सरकार को लिखा पत्र, शराब बेचने की मांगी अनुमति
ऑल इंडिया फेयर प्राइस डीलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष पुष्पराज देशमुख ने टीवी 9 हिंदी से बातचीत करते हुए कहा कि देश में सरकार द्वारा स्वीकृत राशन दुकानों की संख्या पांच लाख 37 हजार 868 है. इन दुकानों से करीब ढाई करोड़ लोग सीधे जुड़े हुए हैं और परोक्ष रूप से साढ़े पांच लाख से अधिक लोग आश्रित हैं.
डीलरों का दावा है कि मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर में जिस तरह से राशन व्यवस्था चल रही है, उसमें राशन डीलरों को मुनाफा नहीं हो रहा है. उन्हें राशन की दुकानों को जीवित रखने के वैकल्पिक तरीकों के बारे में सोचना होगा. इसलिए उन्होंने केंद्र सरकार को प्रस्ताव के रूप में शराब की बिक्री की अनुमति मांगी है.
उनके मुताबिक सिर्फ शराब की बिक्री ही नहीं, बल्कि केंद्र सरकार को राशन की दुकानों से पांच किलो एलपीजी सिलेंडर का आवंटन भी किया जाए. राशन डीलरों को उम्मीद है कि केंद्र और राज्य सरकारें वास्तविक स्थिति को देखते हुए समय पर निर्णय लेंगी.
राशन दुकानों को काफी हो रहा है नुकसान, जीविका चलाना हो रहा मुश्किल
ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के महासचिव विश्वभंर बसु ने कहा, प्रत्येक राशन की दुकान में दो से चार कर्मचारी हैं. मालिकों और कर्मचारियों के परिवार में 3-4 सदस्य और हैं. अनुमान है कि पांच करोड़ से अधिक लोग अपनी आजीविका के लिए राशन की दुकानों पर निर्भर हैं. इसलिए केंद्र और राज्य सरकारें राशन की दुकानों को चालू रखें.
हमने केंद्र सरकार को राशन की दुकानों को जीवित रखकर मालिकों और श्रमिकों को जीवित रखने का ऐसा प्रस्ताव दिया है उन्होंने आगे तर्क दिया कि अगर राशन डीलरों के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया जाता है, तो केंद्र और राज्य सरकारों के राजस्व में वृद्धि का रास्ता भी सुगम हो जाएगा.
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