भोपाल। प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में 6500 स्थाई कर्मी कार्यरत है उन कर्मचारियों में से 2500 स्थाई कर्मचारी उच्च न्यायालय से आदेश ले आए हैं कि उन्हें न्यूनतम वेतनमान एवं 2016 से सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए। लेकिन लोक निर्माण विभाग के अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेशों का लाभ नहीं दे रहे हैं जबकि लोक निर्माण विभाग के अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेशों का लाभ ना देने के मामले में उच्च न्यायालय की नाराजगी का सामना भी कर चुके हैं और कई बार विभाग के ऊपर उच्च न्यायालय कास्ट भी लगा चुका है। उच्च न्यायालय के आदेश का पालन समय सीमा में करने को लेकर लोक निर्माण विभाग के प्रमुख सचिव ने भी 18 नवंबर को प्रदेश के समस्त मुख्य अभियंताओ कार्यपालन यंत्रिओ को पत्र जारी करके निर्देश दिए थे कि लोक निर्माण विभाग के उच्च न्यायालय का आदेश प्राप्त कर चुके स्थाई कर्मियों को 10 से 15 दिन के अंदर न्यायालय आदेशों के पालन में न्यूनतम वेतनमान या सातवें वेतनमान का लाभ दिया जाए। फिर भी लोक निर्माण विभाग के प्रदेश भर के अधिकारियों ने प्रमुख सचिव के आदेश का पालन नहीं किया और अभी तक एक भी स्थाई कर्मी को उच्च न्यायालय के आदेश के पालन में न्यूनतम वेतनमान या सातवें वेतनमान का लाभ 2016 से नहीं दिया है। जिस कारण लोक निर्माण विभाग के स्थाई कर्मी लोक निर्माण विभाग एवं अधिकारियों के विरुद्ध उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दायर करने का निर्णय लिया है।
मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने राम नरेश रावत बनाम अश्वनी राय लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग मध्यप्रदेश शासन के मामले में 15-12-2016 को स्पष्ट आदेश दिया है कि प्रदेश के स्थाई कर्मियों को सरकार ने जब से स्थाई कर्मी बनाया है। तब से स्थाई कर्मियों को शासन द्वारा लागू सातवें वेतनमान का न्यूनतम वेतनमान का लाभ दिया जाए। सर्वोच्च न्यायालय के उक्त आदेश का लाभ लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के स्थाई कर्मियों को सरकार ने दे दिया है लेकिन समस्त विभाग के स्थाई कर्मियों को सर्वोच्च न्यायालय के उक्त आदेश का लाभ आज तक नहीं मिला है। जिस कारण सभी स्थाई कर्मी कर्मचारी मंच के माध्यम से उच्च न्यायालय में दिसंबर 2016 से एरियर सहित सातवां वेतनमान प्राप्त करने के लिए याचिका दायर कर रहे हैं। उच्च न्यायालय से आदेश प्राप्त कर रहे हैं लेकिन लोक निर्माण विभाग के कार्यपालन यंत्री स्तर के अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेशों का पालन नहीं कर रहे हैं। इस कारण सरकारों विभाग को भी उच्च न्यायालय की सख्त कार्रवाई एवं कास्ट लगाने की कार्यवाही का सामना करना पड़ रहा है। जिससे बचने के लिए प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग सुखबीर सिंह आईएएस ने प्रदेश के लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को 1 माह पूर्व आदेश जारी करे थे लेकिन उन आदेशों का पालन आज तक नहीं हुआ है। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच ने लोक निर्माण मंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि स्थाई कर्मियों के संबंध में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए। आदेशों का पालन न करने वाले लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के विरुद्ध सख्त कार्यवाही की जाए तथा उच्च न्यायालय के आदेश का पालन कराया जाए।
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