नई दिल्ली । सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी (Army Chief General Upendra Dwivedi)ने सोमवार को कहा कि सेना में महिला अधिकारी(women officers in army) बहुत अच्छा प्रदर्शन(Good performance) कर रही हैं और सशस्त्र बल में उनकी संख्या बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने एक वरिष्ठ कमांडर की चिंताओं को तवज्जो नहीं देते हुए यह बात कही, जिन्होंने महिला अधिकारियों की कमान वाली इकाइयों के समक्ष पेश आने वाली ‘समस्याओं’ को उठाया था।
बीते साल कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने पूर्वी सेना कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी को पांच पन्नों का एक पत्र लिखा था, जिसमें पूर्वी क्षेत्र में महिला अधिकारियों की कमान वाली सेना इकाइयों को प्रभावित करने वाली कई समस्याओं को बताया गया था।
जनरल द्विवेदी ने सेना दिवस से पहले संवाददाता सम्मेलन में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि महिला अधिकारी उल्लेखनीय रूप से अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं। सेना प्रमुख ने कहा, ‘जो पत्र लीक हुआ है, उसे लीक नहीं होना चाहिए था। इस बारे में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी का आदेश दिया गया है। यह एक धारणा है, यह उनकी धारणा है। उन्हें उस धारणा को व्यक्त करने और टिप्पणी करने का पूरा अधिकार है।’ जनरल द्विवेदी ने कहा कि सेना को मजबूत महिला अधिकारी चाहिए, जो ‘काली माता का रूप’ हो। साथ ही, उन्होंने लैंगिक रूप से तटस्थ दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया।
फिलहाल, 11 लाख से ज्यादा सैनिकों वाली सेना में 1732 महिला अधिकारी हैं। हालांकि, अगर डॉक्टरों, नर्स और कुछ अन्य को मिलाते हैं, तो आंकड़ा 8 हजार तक जा सकता है। साथ ही 310 मिलिट्री पुलिस जवान हैं। 2025 के अंत तक महिला अधिकारियों की संख्या बढ़कर 2037 हो जाएगी। खबर है कि सेना 2032 के अंत तक अन्य रैंक्स में 12 गुना बढ़ोतरी पर विचार कर रही है।
पत्र में क्या था
तत्कालीन लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने मोटे तौर पर जिन ‘चिह्नित मुद्दों’ को सूचीबद्ध किया है उनमें पारस्परिक संबंध, शिकायत करने की अधिक प्रवृत्ति, अधिकार की गलत भावना, सहानुभूति की कमी और ‘महत्वाकांक्षा की अधिकता या कमी’ है। जनरल ने लिखा, महिला सीओ द्वारा उनके अधिकार की ‘अवहेलना’ के संबंध में शिकायतें नियमित रूप से प्राप्त होती हैं।
पत्र में कहा गया है कि ये मुद्दे सामान्य समस्याओं के रूप से शुरू होते हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में नियंत्रण से बाहर चले जाते हैं। इकाइयों की कमान संभालते समय ऐसे ‘सामान्य मामले’ पुरुष समकक्षों द्वारा शायद ही कभी रिपोर्ट किए जाते हैं।
पारस्परिक संबंध के मुद्दे पर उन्होंने कहा कि पिछले एक साल के दौरान, ”महिला अधिकारियों द्वारा संचालित इकाइयों में अधिकारी प्रबंधन से जुड़े मुद्दों की संख्या में वृद्धि हुई है।’ उन्होंने कई कथित घटनाओं का भी उल्लेख किया जैसे कि एक कनिष्ठ कर्मी को यूनिट में महिला सीओ के आने पर उनके वाहन का दरवाजा खोलने के लिए कहना और यह निर्देश देना कि एक अन्य व्यक्ति को सुबह छह बजे दूसरी महिला सीओ के घर का गेट खोलने के लिए भेजा जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था फैसला
एक ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी, 2020 को सेना में महिला अधिकारियों के लिए स्थायी कमीशन का आदेश दिया था और केंद्र के उस रुख को ‘लैंगिक रूढ़िवादिता’ पर आधारित बताकर खारिज कर दिया था जिसमें महिलाओं की ‘शारीरिक सीमा’ का जिक्र था। अदालत ने केंद्र के रुख को ‘महिलाओं के खिलाफ लैंगिक भेदभाव’ करार दिया था।
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