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    Corona में Insurance Policy से लोगों का टूटा भरोसा

  • June 02, 2021

    • हेल्थ में निवेश से तो सेविंग स्कीम भली

    भोपाल। मेडिक्लेम या हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी (Mediclaim or Health Insurance Policy) आदमी इसलिए लेता है कि जरूरत के वक्त किसी हादसे या बीमारी में तुरंत आर्थिक मदद मिले। यह ऐसा निवेश है जिसमें आदमी सुरक्षित महसूस करता है, लेकिन कोरोना (Corona) काल में इंश्योरेंस पॉलिसी (Insurance policy) से लोगों का भरोसा पूरी तरह से टूट गया है। अब लोगों का विश्वास इस ओर बढ़ रहा है कि ऐसे हेल्थ (Health) में निवेश से तो सेविंग स्कीम (Saving Scheme) भली।
    कम से कम मेहनत की कमाई का पैसा आपदा में निकाला तो जा सकता है। पाई-पाई जोड़कर हर साल खुद के साथ परिवार हेल्थ (Health) के लिए जो हजारों रुपए जमा किए जाते हैं, उसका मुसीबत या बदले में कुछ रिस्पांस मिलना ही नहीं है तो खुद का गुल्लक सही अपनी मेहनत का पैसा सुरक्षित तो रहेगा। यही नहीं इस सुरक्षित धन में हर 5 से 10 वर्ष गुजरने में अच्छा खासा ब्याज भी मिलेगा। उम्र के हिसाब से इसमें अलग-अलग तरह की ब्याज दर और स्कीम भी हैं।

    यहां लगा सकते हैं अपना पैसा
    म्यूच्यूअल फंड (Mutual Fund), छोटी बचतों में सुकन्या समृद्धि (Sukanya Samriddhi), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (Public Provident Fund), किसान विकास पत्र (Kisan Vikas Patra), नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (National Savings Certificate), सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम (Senior Citizen Saving Scheme), मंथली इनकम अकाउंट (Monthly Income Account)। बैंकिंग, पोस्ट ऑफिस (Post Office) की कई और बचत योजनाएँ हैं जिनमें 6.6 से 7.6 प्रतिशत तक ब्याज मिलता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें पैसा वापस न लौटे ऐसी कोई गुंजाइश नहीं है। खुद का पैसा खुद के गुल्लक में ही है। किसी भी वक्त निकाला जा सकता है। ऐसा निवेश जो किसी तरह के जोखिम, मानसिक आर्थिक परेशानी से मुक्त रखता है।

    15 से 40 हजार तक पेमेंट
    परिवार के हेल्थ के लिए कंपनियों को लोग हर साल 15 से 40 हजार रुपए तक हेल्थ इंश्योरेंस के लिए पेमेंट कर रहे हैं। इससे ज्यादा कई परिवार अपनी आर्थिक सक्षमता के आधार पर भी निवेश करते हैं। खास बात यह है कि कई सालों से लगातार निवेश कर रहे हैं पर किसी तरह का क्लेम आज तक किया नहीं और न ही नौबत आई, अभी महामारी के वक्त जब जरूरत पड़ी तो ऐसे ही निवेश करने वालों को सिर्फ और सिर्फ धोखा मिल रहा है। ऐन वक्त पर कंपनियाँ कई तरह के नियम-कायदे कानून बताकर अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट गईं। सालों जिन्होंने इन कंपनियों को रुपए दिये यदि रकम सेविंग स्कीम में होती तो ब्याज के साथ जरूरत में काम आ सकती थी।

    धन भी गया और भरोसा भी टूट गया
    स्वास्थ्य पर जब संकट आया और सबसे अधिक जब आर्थिक मदद की जरूरत थी उसी समय धोखा मिला और मूलधन भी डूब गया। कंपनियों ने सालों उपभोक्ताओं से लाभ कमाया और जब भुगतान की बारी आई तो नियमों का बखान कर भाग खड़ी हो रही हैं। नियम पर पूरी तरह से ताक पर हैं और उपभोक्ताओं की शिकायत लगातार बढ़ती जा रही है।

    उपभोक्ता यहां कर सकते हैं शिकायत
    हेल्थ इंश्योरेंस क्लेम और कैशलेस उपचार व अन्य तरह की समस्या के निराकरण के लिए राजधानी भोपाल में बीमा लोकपाल के 07552769200, 07552769201 नंबरों पर शिकायत की जा सकती है। इसके साथ ही इंश्योरेंस रेगुलेटरी अथॉरिटी हैदराबाद गाछी वावली में पत्र व्यवहार किया जा सकता है। साथ ही 155255 टोल फ्री नंबर पर संपर्क किया जा सकता है।

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