नई दिल्ली: करीब 66 फीसदी भारतीयों का यह मानना है कि साल 2030 तक Electric Vehicles की संख्या पेट्रोल और डीजल वाले व्हीकल्स से आगे निकल जाएगी. एक निजी सर्वे में यह बात सामने आई है. यह सर्वे ACKO और YouGov इंडिया ने किया है. इसके मुताबिक, ज्यादातर भारतीय Consumers (57 फीसदी) अपने फायदे के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल में निवेश करना चाहते हैं. जबकि 56 फीसदी इलेक्ट्रिक वाहनों को इसलिए खरीदना चाहते हैं, क्योंकि ये पर्यावरण के लिए अच्छा है.
ईवी के लिए क्या देश का इंफ्रास्ट्रक्चर है तैयार?
ज्यादातर लोगों यानी 60 फीसदी का मानना है कि भारत का मौजूदा पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को सपोर्ट करने के लिए तैयार नहीं है. उन्हें बड़े सुधार की जरूरत लगती है. हालांकि, सर्वे में यह बात भी सामने आई है कि 89 फीसदी लोग यह सोचते हैं कि भारत का इंफ्रास्ट्रक्चर 2030 तक इलेक्ट्रिक व्हीकल के लिए तैयार हो जाएगा.
पिछले कुछ सालों में, एक्सपर्ट्स और विश्लेषकों ने देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल की कम पहुंच के पीछे खराब इंफ्रास्ट्रक्चर को प्रमुख वजह बताया है. बयान में कहा गया है कि सर्वे में जिन लोगों ने इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने की इच्छा जताई है, उनमें से 62 फीसदी बढ़ती तेल कीमतों के बारे में चिंतित हैं. जबकि. 57 फीसदी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की वजह से इलेक्ट्रिक वाहन खरीदना चाहते हैं.
वहीं, सर्वे में शामिल 51 फीसदी लोगों का कहना है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल इस्तेमाल करने से पेट्रोल और डीजल कारों के मुकाबले कम लागत लगती है. बयान के मुताबिक, 48 फीसदी लोगों ने कहा कि इलेक्ट्रिक व्हीकल पारंपरिक कारों के मुकाबले प्रति माइल ज्यादा किफायती हैं.
इलेक्ट्रिक व्हीकल के बारे में जागरूकता फैलाना जरूरी
सर्वे में मौजूद 63 फीसदी लोगों ने बताया कि उन्हें नहीं पता था कि रेत इलेक्ट्रिक व्हीकल की आग बुझाने का सबसे बेहतर समाधान है. सर्वे के मुताबिक, 66 फीसदी लोगों को लगता था कि बैटरी लाइफ केवल 2 से पांच सालों तक चलती है. सर्वे में सामने आया है कि अच्छी खबर है कि 10 में से 8 ने इस बात को पहचान लिया कि चार्जिंग बिहेवियर की इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी लाइफ में भूमिका है.
सर्वे में इस बात को उजागर किया गया है कि इलेक्ट्रिक व्हीकल को लेकर जागरूकता फैलाने की जरूरत है. सर्वे के मुताबिक, लोगों को इससे जुड़ी अलग-अलग चीजों की जानकारी देनी चाहिए.
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