नई दिल्ली। ओमिक्रॉन वेरिएंट पर कोरोना वैक्सीन के दो डोज काफी नहीं हैं। कई दिनों से उठ रहे सवाल का आखिरकार शोधकर्ताओं ने जवाब तलाश लिया है।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने ओमिक्रोन पर वैक्सीन के असर से जुड़ा एक अध्ययन किया है, बीते सोमवार को इस अध्ययन के परिणाम को प्रकाशित करते हुए ऑक्सफोर्ड के शोधकर्ताओं ने बताया कि ओमिक्रॉन पर वैक्सीन के दो डोज ले चुके लोगों पर जो अध्ययन किया गया, ओमीक्रोन के खिलाफ वैक्सीन की दो डोज प्रभावी नहीं हैं।
कम एंटीबॉडी होने पर दोबारा संक्रमण होने का खतरे की संभावना है। ये अध्ययन उन्होंने एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड या फाइजर-बायो एनटेक की दो डोज ले चुके लोगों के खून के सैंपल इकट्ठा करके किया है। ऐसे वैक्सीनेटेड लोगों के खून के सैंपल से पाया गया कि इन लोगों में ओमिक्रॉन से लड़ने के लिए एंटीबॉडी की पर्याप्त मात्रा में कमी है।
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में ओमिक्रॉन पर अध्ययन
ओमिक्रॉन पर वैक्सीन की प्रभावशीलता या असर पर उठ रहे सवाल पर ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी ने एक अध्ययन किया। इस अध्ययन के तहत फाइजर वैक्सीन और एस्ट्रा जेनेवा की वैक्सीन के डोज जिन लोगों को दिए जा चुके हैं, उन लोगों के खून के सैंपल लिए गए।
दो अलग अलग टीकों के साथ एकत्र किए गए लोगों के ब्लड सैपल्स और नए स्ट्रेन के लिए खिलाफ हुए परीक्षण में पाया गया कि डेल्टा वेरिएंट की तुलना में दोनों वैक्सीन के डोज ओमिक्रॉन से बचाव में कमजोर हैं। इन दोनों वैक्सीन के डोज से मिलने वाली सुरक्षा में ओमिक्रॉन खतरा है। टीका लगवा चुके लोगों के ब्लड सैंपल में कोरोना से बचाव के लिए जरूरी एंटीबॉडीज में गिरावट पाई गई।
बूस्टर डोज की जरूरत बढ़ी
कोरोना के नए वेरिएंट पर मौजूदा वैक्सीन का असर कम होने पर बूस्टर की पेशकश करने वालों के लिए ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में कहा गया कि यह परिणाम उन कोरोना वैक्सीन के बूस्टर डोज की जरूरत की पुष्टि करते हैं।
हेल्थ केयर सिस्टम पर बढ़ेगा बोझ
ऑक्सफोर्ड मेडिकल के प्रमुख प्रोफेसर और स्टडी के मुख्य शोधकर्ता गेविन स्क्रीटन ने कहा, “ये आंकड़े वैक्सीन को विकसित करने और कोरोना से आबादी की रक्षा करने के लिए वैक्सीन रणनीति पर काम करने वाले के लिए मददगार होंगे।
वहीं बूस्टर टीकाकरण की मांग को भी उचित करार देंगे।’ स्क्रीटन ने कहा, वैसे तो टीकाकरण करवा चुके लोगों में वायरस से गंभीर बीमारी या मृत्यु के जोखिम में वृद्धि का कोई सबूत नहीं है, लेकिन हमें सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि अधिक संख्या में स्वास्थ्य देखभाल सिस्टम पर अभी भी इसका काफी बोझ पड़ सकता है।
यूके के शोधकर्ताओं ने केवल वैक्सीन के दूसरी खुराक के बाद एंटीबॉडी को निष्क्रिय करने पर अभी ध्यान दिया है लेकिन सेलुलर इम्यूनिटी के बारे में जानकारी नहीं दी है। इस बारे में भी शोधकर्ता ने कहा कि स्टोर किए गए सैंपल से इस बात का भी परीक्षण किया जाएगा।
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और स्टडी के सह-लेखक मैथ्यू स्नेप ने कहा कि महत्वपूर्ण रूप से हमने अभी तक कोरोना के खिलाफ बूस्टर के तौर पर एक ‘तीसरी खुराक’ के प्रभाव का आकलन नहीं किया है। हो सकता है कि यह ओमिक्रॉन के खिलाफ पोटेंसी को बेहतर बनाए।
ऑक्सफोर्ड के साथ एक्ट्रा जेनेवा की वैक्सीन को डेवलप करने में योगदान देने वाले टेरेसा लेंबे ने कहा कि ओमिक्रॉन वेरिएंट के असर को बेहतर तरीके से समझने में अभी कुछ और हफ्तों का समय लग सकता है। उम्मीद है कि मौजूदा टीका, गंभीर बीमारियों से और अस्पताल में भर्ती होने से बचाएगा।
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