सिंगरौली: मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के सिंगरौली जिले (Singrauli district) के चितरंगी जनपद की खमरिया ग्राम पंचायत के धर्मदेव टोला में पानी की भारी किल्लत ने लोगों की जिंदगी मुश्किल में डाल दी है. लगभग 150 की आबादी वाले इस इलाके में गोंड और बैगा जनजाति के परिवार पीने के लिए गड्ढों का गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हो रहे हैं. हालात इतने खराब हैं कि कई दिनों से नलहैंडपंप भी सूख चुके हैं, जिससे लोगों की सेहत पर खतरा मंडरा रहा है.
वहीं स्थानीय लोगों का कहना है कि टोला में करीब 25-30 घर मौजूद हैं, और दो ही हैंडपंप हैं, लेकिन दोनों बंद पड़े हैं. साफ पानी के लिए लोगों को रोजाना दो किलोमीटर दूर तक पैदल चलकर जाना पड़ता है. गर्मी के इस मौसम में जब पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब यहां के लोग एकएक बूंद के लिए तरस रहे हैं. महिलाओं और बच्चों को इस वजह से सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
ग्राम पंचायत सचिव हीरालाल कोल का कहना है कि बीते साल टैंकरों के जरिए पानी की सप्लाई की जा रही थी, जिससे लोगों को थोड़ी राहत मिल जाती थी. लेकिन इस साल अभी तक प्रशासन से ऐसी किसी भी व्यवस्था की मंजूरी नहीं मिली है. नतीजतन, गांव के लोगों को मजबूरी में गंदा और असुरक्षित पानी पीना पड़ रहा है, जिससे बीमारियों का खतरा भी बढ़ गया है.
इस मामले पर जनपद चितरंगी के सीईओ ऋषि सिंह ने कहा कि गांव में टैंकर से पानी सप्लाई जल्द शुरू कर दी जाएगी. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वहां जलस्तर नीचे नहीं गया है और न ही हैंडपंप पूरी तरह खराब हैं. उनका कहना है कि पंचायत का टैंकर खराब हो गया था, जिसकी जगह अब नया टैंकर जल्द उपलब्ध कराया जाएगा.
अब देखना यह होगा कि प्रशासन की ओर से किए गए वादे कितने जल्दी जमीन पर उतरते हैं. धर्मदेव टोला जैसे दूरस्थ और जरूरतमंद गांवों में पानी जैसी बुनियादी सुविधा का अभाव न केवल चिंता की बात है, बल्कि यह सवाल भी उठाता है कि आखिर कब तक आदिवासी समुदाय इस तरह उपेक्षा का शिकार बना रहेगा?
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