कश्मीर। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में इस साल विधानसभा चुनाव होने की संभावना है। इसको लेकर चुनाव आयोग ने तैयारियां शुरू कर दी है। चुनाव आयोग का कहना है कि जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में रहने वाला देश का कोई भी व्यक्ति अब जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में भी मतदान कर सकेगा और अपनी पसंद के नेता को वोट देने का हकदार होगा।
चुनाव आयोग के अनुसार जम्मू-कश्मीर के चुनाव में अब दूसरे राज्यों के लोग भी वोट डाल सकेंगे। अगर जम्मू-कश्मीर में दूसरे राज्य का कोई शख्स नौकरी, बिजनेस, मजदूरी या पढ़ाई कर रहा है, तो वह जम्मू-कश्मीर का वोटर बन सकता है। जिसके बाद राज्य की पीडीपी और नेशनल कॉन्फ्रेंस जैसी पार्टियों की बेचैनी बढ़ गई है और उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती जैसे नेता भड़के हुए हैं।
जम्मू-कश्मीर में राजनीतिक नेताओं ने उन खबरों पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है जिसमें जम्मू कश्मीर में काम के उद्देश्य से रहने वाले लोग भी केंद्र शासित प्रदेश में अगले विधानसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं।
Is the BJP so insecure about support from genuine voters of J&K that it needs to import temporary voters to win seats? None of these things will help the BJP when the people of J&K are given a chance to exercise their franchise. https://t.co/ZayxjHiaQy
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) August 17, 2022
मुफ्ती ने कहा, ‘‘जम्मू कश्मीर में चुनावों को स्थगित करने संबंधी भारत सरकार का निर्णय, पहले भाजपा के पक्ष में पलड़ा झुकाने और अब गैर स्थानीय लोगों को वोट देने की अनुमति देने से चुनाव परिणामों को प्रभावित करने के लिए है। असली उद्देश्य स्थानीय लोगों को शक्तिहीन करने के लिए जम्मू-कश्मीर पर शासन जारी रखना है.’’ पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन ने इस कदम को ‘‘खतरनाक’’ करार देते हुए कहा कि यह ‘‘विनाशकारी’’ होगा।
दरअसल परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, जम्मू-कश्मीर में 20 से 25 लाख नए मतदाता जुड़ सकते हैं। राज्य में फिलहाल मतदाताओं की संख्या 76 लाख है, जो बढ़कर 1 करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। यहां तक तो सब ठीक है. लेकिन जम्मू-कश्मीर के नए मतदाता कौन होंगे, उसे लेकर विवाद शुरू हो गया है।
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