भोपाल: मध्य प्रदेश के लोग भोपाल से ज्यादा इंदौर में रहना पसंद करते हैं. यह बात उन रियलिटी प्रोजेक्ट के आंकड़ों से निकलकर आई है, जो दोनों शहरों में तैयार हो चुके हैं. प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में मुख्य राजधानी से तीन गुना ज्यादा रियलिटी प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन हुए. इस बात ने ये साबित कर दिया कि भोपाल से ज्यादा लोग इंदौर को पसंद कर रहे हैं. रियल एस्टेट रेगुलेटरी ऑथोरिटी के मुताबिक साल 2022-23 में इंदौर में 258 प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन हुए, जबकि भोपाल में प्रोजेक्ट की संख्या महज 78 थी.
प्रदेश में भोपाल और इंदौर ही ऐसे शहर हैं जहां रियल एस्टेट में सबसे ज्यादा काम होता है. साल 2022-23 में राज्य की संस्कारधानी जबलपुर में 40 प्रोजेक्ट, उज्जैन में 29 प्रोजेक्ट और ग्वालियर में 12 रियल एस्टेट प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन हुआ. हैरान करने वाली बात है कि खरगोन में जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर से भी ज्यादा प्रोजेक्ट के रजिस्ट्रेशन हुए. साल 2022-23 में यहां 45 प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन हुआ. रेरा के आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में रियल एस्टेट सेक्टर ने पिछले कुछ सालों में अच्छी रफ्तार पकड़ी है. गौरतलब है कि राज्य में रेरा का गठन 1 मई 2017 को हुआ था. बिल्डरों, प्रमोटरों और एजेटों के खिलाफ लगातार शिकायतें मिलने के बाद सरकार ने रेरा का गठन किया था.
दरअसल, लोगों ने उन दिनों सरकार से शिकायतें की थीं कि उन्हें घरों का पजेशन नहीं मिल रहा, जबकि वे बिल्डर को पूरा भुगतान कर चुके हैं. इसके अलावा लोगों को ये भी शिकायत थी कि रियल एस्टेट के प्रमोटरों का व्यवहार ठीक नहीं है. वे लापरवाह हैं. वे एग्रीमेंट पर साइन करने के बाद पूरी तरह से बदल जाते हैं और रूखा व्यवहार करते हैं. इन सब शिकायतों देखते हुए ही सरकार ने रेरा के गठन का फैसला किया था. जानकारी के मुताबिक, मार्च 2023 तक रेरा के पास 846 पेंडिंग शिकायते हैं. गौरतलब है कि सरकार की नोटबंदी और कोरोना की वजह से रियल एस्टेट कारोबार पूरी तरह थम गया था. लेकिन, अब बिल्डरों का कहना है कि उनके बिजनेस में स्थिरता आ रही है. अब नोटबंदी और कोविड-19 के बाद से स्थितियां बदल गई हैं.
सूत्रों के मुताबिक, बिल्डरों का कहना है कि रेरा आने के बाद स्थितियां बदल गई हैं. त्योहारों के सीजन में रिएल एस्टेट के कारोबार में तेजी आती है. लोग इस सीजन में नया घर खरीदते हैं. बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि इस सेक्टर को और गति देने के लिए राज्य में और प्रोजेक्ट लाए जाने की जरूरत है. प्रशासन को मास्टर प्लान लाना चाहिए, ताकि बिल्डरों को और ज्यादा जमीनें मिल सकें. फिलहाल जितनी भी जमीन हैं उनका इस्तेमाल हो चुका है. जब शहर में जमीन नहीं बचती तो प्रॉपर्टी के रेट बढ़ जाते हैं. प्रॉपर्टी की ज्यादा मांग और कम विकल्प होने की वजह से दामों पर असर पड़ता है.
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