इंदौर। जंगल (forest) मे आग (fires) लगने के दौरान आग (fires) को बढऩे से रोकने वाले वनकर्मी अपनी जान हथेली पर रखकर काम कर रहे हैं। उन्हें जो घास और पत्ते इकट्ठे करने के लिए ब्लोअर मशीन (blower machine) दी गई है, यह पेट्रोल (petrol) से चलती है। आग बढऩे से रोकने के लिए इस मशीन को पीठ पर लादकर काम करना पड़ता है। इस दौरान यदि जलते हुए घास, पत्ते या पेड़ की एक चिंगारी भी पेट्रोल टैंक पर गिरती है तो किसी भी दिन अनहोनी घटना घट सकती है।
इस साल 15 फरवरी से वन विभाग का फायर सीजन शुरू हो गया है। इस दौरान जानापाव के जंगलों से लेकर कई जंगली इलाकों में आग लग चुकी है। आग बुझाने के दौरान आग को आगे बढऩे से रोकने के लिए फायर फारेस्ट फाइटर , ब्लोअर मशीन से पैदा होने वाली हवा के माध्यम से अग्नि स्थल के आसपास मौजूद सूखी घास, पत्ते समेटकर लगी हुई आग की तरफ ढकेल देते हैं। इस वजह से आग का दायरा आगे नहीं बढ़ पाता। यह ब्लोअर मशीन फायर फाइटर को अपनी पीठ पर लादना पड़ती है। इसी मशीन में पेट्रोल की टंकी भी लगी होती है। इस वजह से हमेशा अनहोनी अथवा हादसे की आशंका बनी रहती है। इस मशीन के इस्तेमाल का वनकर्मी और अधिकारी विरोध कर रहे हैं, मगर कोई भी खुलकर नहीं बोल पा रहा है। फायर फारेस्ट फाइटर्स के लिए इंदौर वन विभाग की मानपुर, महू, चोरल सभी रेंजों में लगभग 40 ब्लोअर मशीनें वितरित की गई हैं।
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