नई दिल्ली (New Dehli) । कोरोना (corona)के बाद लोग अपने जमा पैसे को खर्च (spend money)करने पर जोर दे रहे हैं। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुताबिक महामारी (pandemic)से जुड़ी बंदिशें हटने के बाद लोगों के खर्च (people’s expenses)करने और अधिक होम लोन लेने से परिवारों की बचत दर पिछले वित्त वर्ष में घटकर 50 साल के निचले स्तर पर आ गई। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में परिवारों की शुद्ध वित्तीय बचत गिरकर जीडीपी का 5.1 प्रतिशत रही। इस गिरावट के पीछे देनदारियों में बढ़ोतरी प्रमुख वजह रही जिसमें बड़ी हिस्सेदारी होम लोन की है।
क्या कहा डिप्टी गवर्नर ने: माइकल देवव्रत पात्रा ने कहा कि ऐतिहासिक रूप से भारत में औसत घरेलू बचत दर करीब 7.5 प्रतिशत रही है लेकिन महामारी के दौरान कई तरह की बंदिशें होने और एहतियाती बचत पर जोर देने से यह बढ़ गई थी। उन्होंने कहा कि महामारी खत्म होने के बाद इससे जुड़ी बंदिशें भी हट गईं और लोग खर्च करने के लिए बाहर निकलने लगे। इसके अलावा उन्होंने संकट के समय के लिए एहतियात के तौर पर बचाई गई राशि को भी निकालना शुरू कर दिया।
डिप्टी गवर्नर ने कहा कि बचत दर वित्त वर्ष 2022-23 की पहली तिमाही में 4.2 प्रतिशत पर रही थी लेकिन बाद में यह सात प्रतिशत तक पहुंच गई। उन्होंने कहा, ”यह घरेलू बचत दर के रुझान के अनुरूप ही है। मौजूदा मूल्य पर बचत दर 14 प्रतिशत रही है।”
पात्रा ने कहा, ”दरअसल परिवारों ने वित्तीय बचत के बजाय फिजिकल सेविंग पर ध्यान केंद्रित किया है। जब होम लोन लिए जाते हैं, तो असल में वह निवेश में योगदान देता है। देनदारी में यह बढ़ोतरी अगले साल निवेश वृद्धि के तौर पर नजर आएगी।”
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