अब मेडिकल स्टोर की बजाय, सीधे अस्पताल से ही उपलब्ध होंगे रेमडेसिविर
इन्दौर। शहर में रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) की कमी को लेकर कई कारण सामने आ रहे हैं। इनमें एक कारण यह भी है कि मार्च में ऐसे कई लोगों ने मेडिकल स्टोर (Medical Store) से ये इंजेक्शन खरीद कर रख लिए, जिन्हें इसकी जरूरत ही नहीं थी।
कल रेसीडेंसी कोठी (Residency Kothi) में निजी अस्पताल, मेडिकल कॉलेज और आईएमए से जुड़े डॉक्टरों ने रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) को लेकर कई जानकारी मीडिया के सामने साझा कि और कहा कि इस इंजेक्शन को रामबाण मान लिया गया है और मामूली संक्रमण (Infections) वाला मरीज भी इसे लगवा रहा है, जबकि यह एक एंटी वाइरल इंजेक्शन है जो कोरोना मरीजों के लिए कारगर साबित हो रहा है। डॉ. विनोद भंडारी (Dr. Vinod Bhandari) ने स्पष्ट किया कि 20 प्रतिशत से ज्यादा लंग्स खराब होने पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने इस इंजेक्शन का उपयोग 6 अप्रैल 2020 से शुरू किया था और लंग्स इन्फेक्शन को दूर करने में इसके अच्छे परिणाम आए। उन्होंने कहा कि इस इंजेक्शन को हर कोई लगा रहा है, जबकि इसे लगाने के बाद एलएफटी यानि लंग्स फंक्शन टेस्ट भी अनिवार्य होता है। डॉ. वी.पी. पांडे, डॉ. हेमंत जैन, डॉ. सौरभ मालवीय और आईएमए के अध्यक्ष डॉ. सतीश जोशी ने भी हर किसी को रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remedisvir Injection) की आवश्यकता से इंकार किया। डॉक्टरों का कहना था कि कई लोगों ने तो ये इंजेक्शन इसलिए खरीद लिए, कि कहीं उन्हें भविष्य में इसकी आवश्यकता नहीं पड़े, इसलिए भी बाजार में शार्टेज आई। वहीं डीन डॉ. संजय दीक्षित (Dr. Sanjay Dixit) ने बताया कि अब ये इंजेक्शन मेडिकल काउंटर से नहीं, बल्कि अस्पतालों के मेडिकल स्टोर से ही उपलब्ध होंगे, ताकि वास्तव में मरीजों को ये इंजेक्शन मिल सके।
सिटी चेस्ट भी मन से करा रहे लोग
कई लोग थोड़ी परेशानी होने पर भी सिटी चेस्ट (City Chest) कराने पहुंच जाते हैं। कई मामलों में देखा गया है कि भले ही उस व्यक्ति में संक्रमण न हो, लेकिन जांच कराने में वह किसी न किसी के संपर्क में आ जाता है और किसी-किसी केस में तो स्वस्थ्य व्यक्ति भी कोरोना पॉजिटिव हो जाते हैं।
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