नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) लेकर मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) पहुंचे हुए हैं. यहां राहुल गांधी ने रविवार (3 मार्च) को अंबानी परिवार (Ambani family) की शादी को लेकर टिप्पणी की है. उन्होंने कहा कि अंबानी के यहां शादी हो रही है. लोग वहां पर सेल्फी खिंचवा रहे हैं और आप लोग यहां भूखे मर रहे हैं. उन्होंने कहा कि दुनियाभर से लोग शादी में पहुंच रहे हैं. गुजरात के जामनगर में अनंत अंबानी और राधिका मर्चेंट की प्री-वेडिंग सेरेमनी चल रही है.
ग्वालियर में लोगों को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा, ‘अब राहुल गांधी जो बोल रहा है, वो कैसे दिखा सकता है…टीवी पर दिखेगा कि अंबानी जी के बेटे की शादी हो रही है. धूमधाम से शादी हो रही है, दुनिया भर के लोग आ रहे हैं, सेल्फी ली जा रही है और आप लोग यहां पर भूखे मर रहे हो.’ दरअसल, राहुल का हमेशा से ये आरोप रहा है कि मीडिया में उनके बयानों को जगह नहीं दी जाती है. ग्वालियर में भारत जोड़ो न्याय यात्रा लेकर पहुंचे राहुल ने यहां पर भी यही बात दोहराई.
बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरा
राहुल गांधी ने कहा कि ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के बाद हमने ‘भारत जोड़ो न्याय यात्रा’ शुरू की है. इस यात्रा में हमने ‘न्याय’ शब्द जोड़ा है. हमने ‘न्याय’ शब्द इसलिए जोड़ा है, क्योंकि देश में जो नफरत फैल रही है, उसका कारण ‘अन्याय’ है. राहुल ने देश में फैली बेरोजगारी के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए कहा कि इस समय देश में 40 साल में सबसे ज्यादा बेरोजगारी है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जीएसटी और नोटबंदी कर छोटे उद्योगों को खत्म कर दिया है.
फिर दोहराई जातिगत जनगणना की बात
ग्वालियर में एक बार फिर से राहुल ने जातिगत जनगणना की बात दोहराई. कांग्रेस नेता ने कहा कि देश में करीब 50% ओबीसी, 15% दलित और 8% आदिवासी वर्ग के लोग हैं, यानी कुल 73% लोग. उन्होंने कहा कि आपको देश की बड़ी-बड़ी कंपनियों के मैनेजमेंट में एक भी ओबीसी, दलित और आदिवासी वर्ग का व्यक्ति नहीं मिलेगा. हमने जातिगत जनगणना की बात की, तो नरेंद्र मोदी कहते हैं- देश में सिर्फ दो जातियां हैं, अमीर और गरीब. वह नहीं चाहते कि देश की सच्चाई 73% लोगों को पता चल जाए कि किसकी कितनी भागीदारी है.
राहुल ने कहा कि देश के 73% लोग बड़े-बड़े अस्पतालों, निजी स्कूलों के मैनेजमेंट में नहीं दिखते हैं, लेकिन मनरेगा, ठेका मजदूरों की लिस्ट में दिख जाएंगे. अगर ये 73% लोग मनरेगा, ठेका मजदूरों की लिस्ट में दिख सकते हैं तो ये लोग बड़े-बड़े अस्पतालों, निजी स्कूलों, कंपनियों के मैनेजमेंट में क्यों नहीं? उन्होंने कहा कि पहले सरकारी नौकरियां थीं, तो इन 73% लोगों को भागीदारी मिलती थी, अब सब कुछ प्राइवेट कर रहे हैं.
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