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पर्सनल लोन लेने से परहेज कर रहे लोग, उपभोग खर्च घटने की आशंका, रिपोर्ट में दावा

November 09, 2024

नई दिल्ली। देश में लोग पर्सनल लोन (Personal Loans) लेने से परहेज करने लगे हैं। इससे अर्थव्यवस्था (Economy) में उपभोग खर्च घटने की आशंका बढ़ गई है। बैंक ऋण खासकर व्यक्तिगत ऋणों की वृद्धि में हाल ही में आई मंदी, शहरी क्षेत्रों में खपत को प्रभावित कर सकता है। क्रिसिल की एक रिपोर्ट (Report) में यह बात कही गई है। रिपोर्ट के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक (Reserve Bank of India) की ओर से ब्याज दरों (Interest Rates) में बढ़ोतरी का विलंबित प्रभाव व्यापक अर्थव्यवस्था में दिखाई देने लगा है, पिछले तीन महीनों में बैंक ऋण वृद्धि में कमी आई है।

यह मंदी विशेष रूप से पर्सलन लोन के मामले में है, जो चिंताजनक है। इसका शहरी क्षेत्रों में उपभोक्ता खर्च से सीधा संबंध है। रिपोर्ट में कहा गया है, “RBI की पिछली दर वृद्धि का विलंबित प्रभाव धीरे-धीरे व्यापक अर्थव्यवस्था में महसूस किया जा रहा है। पिछले तीन महीनों में बैंक ऋण वृद्धि धीमी रही है, जिसमें व्यक्तिगत ऋण भी शामिल हैं। इससे खपत, खासकर शहरी क्षेत्रों में प्रभावित होने की संभावना है।”


रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अक्तूबर में कुल बैंक ऋण वृद्धि सितंबर की तुलना में 13 प्रतिशत से घटकर 11.5 प्रतिशत हो गई, जो एक महत्वपूर्ण गिरावट को दर्शाता है। सितंबर के लिए क्षेत्र विशेष के आंकड़ों से पता चलता है कि कई श्रेणियों में ऋण वृद्धि में कमी आई। उदाहरण के लिए, कृषि ऋण की वृद्धि दर 17.7 प्रतिशत से घटकर 16.4 प्रतिशत हो गई, जबकि औद्योगिक क्षेत्र को दिया जाने वाला ऋण 9.7 प्रतिशत से घटकर 8.9 प्रतिशत हो गया।

इसी तरह, सेवा क्षेत्र में ऋण वृद्धि 13.9 प्रतिशत से थोड़ी कम होकर 13.7 प्रतिशत हो गई, और उपभोक्ता खर्च के एक महत्वपूर्ण चालक, व्यक्तिगत ऋण में 13.9 प्रतिशत से 13.4 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। रिपोर्ट के अनुसार, व्यक्तिगत ऋण श्रेणी में करीब से देखने पर पता चलता है कि क्रेडिट कार्ड की वृद्धि, जो खर्च को काफी हद तक बढ़ावा देती है, 19.9 प्रतिशत से तेजी से घटकर 18 प्रतिशत हो गई।

सेवा क्षेत्र के एक घटक, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC) के लिए ऋण वृद्धि भी 11.9 प्रतिशत से काफी कम होकर 9.5 प्रतिशत हो गई, जिसका आंशिक कारण RBI की ओर से हाल ही में जोखिमपूर्ण ऋण प्रथाओं पर की गई कार्रवाई है। ऋण में यह मंदी शहरी खपत पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकती है, क्योंकि कई शहरी परिवार आवश्यक और गैर-आवश्यक दोनों तरह की खरीदारी के लिए व्यक्तिगत ऋण और क्रेडिट कार्ड पर निर्भर हैं।

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