कोरोना महामारी के दौरान हेडफोन (Headphones) का इस्तेमाल बहुत ज्यादा बढ़ गया है। अधिकतर लोगों को जहां घर से काम करना पड़ रहा है, वहीं विद्यार्थियों का भी सहारा ऑनलाइन क्लास ही है लेकिन ऐसे में ईयरफोन का इस्तेमाल बढ़ गया है और डॉक्टरों का कहना है कि उनके पास कानों में दर्द, परेशानी और संक्रमण की शिकायतें लेकर ज्यादा लोग आ रहे हैं।
डॉक्टरों के अनुसार पिछले आठ महीनों से हेडफोन और ईयरपॉड (earpod) का इस्तेमाल लोग कई-कई घंटों तक करने लगे हैं, जिससे ये शिकायतें बढ़ी हैं। ये सभी शिकायतें सीधे तौर पर लंबे समय से तक हेडफोन इस्तेमाल से जड़ी हैं।
डॉक्टरों ने बताया कि इस तरह की शिकायतों के साथ अस्पताल के कान, नाक और गला विभाग (ENT) में रोजाना कई लोग आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनमें से ज्यादातर लोग काम करने के लिए आठ घंटे से ज्यादा समय तक हेडफोन का इस्तेमाल करते हैं, जिससे कानों पर काफी जोर पड़ता है और इससे संक्रमण का प्रसार हो सकता है।
साथ ही इसे लगाकर कई कई घंटे तक ऊंची आवाज सुनने से सुनने की क्षमता भी कमजोर पड़ रही है। अगर लोग अपनी आदतें नहीं बदलते हैं तो उनके कानों को स्थायी नुकसान हो सकता है। उन्होंने कहा कि ईयर वैक्स की वजह से कीटाणु प्राकृतिक तौर पर मरते हैं और इससे संक्रमण रूकता है लेकिन कान साफ करने के लिए रूई के इस्तेमाल से यह रक्षात्मक वैक्स (मोम जैसा पदार्थ) हट जाता है और कान के आंतरिक हिस्से को कीटाणुओं के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
स्कूली बच्चों पर भी पड़ रहा असर
वैसे तो स्कूली बच्चों को हेडफोन का इस्तेमाल ही नहीं करना चाहिए। लेकिन आनलाइन कक्षाओं के कारण उन्हें भी लैपटाप (laptop), कम्प्यूटर, मोबाइल से जुड़ना पड़ रहा है, और ईयरफोन-हेडफोन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। उन्हें भी कान से संबंधित शिकायतें हो रही है। छोटे बच्चों को ईयरफोन लगाने से बचना चाहिए। जैसे ही स्कूल के भीतर कक्षाएं बहाल होंगी, तो बड़ी संख्या में बच्चे कान में दिक्कतों की शिकायतें करेंगे।
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