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    3 साल बाद भी नहीं खुले Medical Teachers के पेंशन खाते

  • September 24, 2021

    Real estate brokers pointed to signing agreement documents.

    • चिकित्सा शिक्षा मंत्री ने भरोसा दिलाया है कि जल्द ही खोल दिए जाएंगे खाते

    भोपाल। मध्यप्रदेश के मेडिकल कॉलेजों (Medical Colleges) में पेंशन की राशि को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। नेशनल पेंशन स्कीम (National Pension Scheme) के तहत मेडिकल टीचर्स का पैसा पेंशन अकाउंट (Pension Account) में जमा होना था लेकिन 2018 से नियम लागू होने के बावजूद अबतक मेडिकल टीचर्स का पेंशन अकाउंट नहीं खोला गया जिसके चलते मेडिकल टीचर्स अपनी राशि को लेकर डरे हुए हैं। मध्यप्रदेश के प्रोग्रेसिव मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन (Progressive Medical Teachers Association) के मुताबिक, प्रदेश के 13 मेडिकल कॉलेजों के करीब 2,300 मेडिकल टीचर्स के सामने दुविधा है कि उनकी बेसिक सैलरी (Basic Salary) से हर महीने 10 प्रतिशत राशि काटी जाती है और इतनी ही राशि सरकार जमा करवाती है। नियम के मुताबिक, ये राशि पेंशन अकाउंट (Pension Account) में जमा होनी चाहिए लेकिन दुविधा है कि मेडिकल टीचर्स (Medical Teachers) का अब तक पेंशन खाता ही नहीं खुल सका है।


    यह है मामला
    इस पूरे मामले में भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में पढ़ाने वाले डॉ. राकेश मालवीय ने आज तक से बात करते हुए बताया, 2005 में सरकार ने नेशनल पेंशन स्कीम बनाई थी। इसके तहत शासकीय कर्मियों का पेंशन खाता खोला जाता है और उसका नंबर कर्मचारी को दिया जाता है। मध्यप्रदेश में चिकित्सा शिक्षा विभाग ने 2018 में आदेश निकालकर कर्मचारियों और मेडिकल टीचरों के लिए नियम लागू कर दिया था, लेकिन तब से लेकर अब तक मेडिकल कॉलेजों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ को प्रान नंबर उपलब्ध नहीं करवाये गए हैं। डॉ. मालवीय ने दावा किया कि इससे 2300 मेडिकल टीचर्स के अलावा हजारों की संख्या में नर्सिंग स्टाफ, टेक्नीशियन, पैरामेडिकल स्टाफ, क्लास 3 और क्लास 4 कर्मचारी प्रभावित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश में इंदौर, भोपाल, जबलपुर, ग्वालियर, रीवा, सागर, शहडोल, दतिया, शिवपुरी, छिंदवाड़ा, खंडवा, रतलाम और विदिशा में मेडिकल कॉलेज हैं। कोरोना की दोनों लहरों में बड़ी संख्या में डॉक्टर भी शहीद हुए। ऐसे में उनके परिजनों के सामने समस्या आ रही है कि पेंशन खाते में राशि ही जमा नहीं हुई तो लाभ कैसे मिले। ऐसी ही एक शिकायत इंदौर की डॉक्टर पूनम रायकवार की है जिनके पति डॉक्टर रामशरण रायकवार की अप्रैल 2021 में कोरोना से मौत हो गई थी। वो गांधी मेडिकल कॉलेज में सर्जरी विभाग के प्रोफेसर थे। अब पत्नी पूनम रायकवार मांग कर रही हैं कि एनपीएस समेत जो भी राशि सरकार के पास जमा है वो जल्द से जल्द दें ताकि बच्चों के भविष्य के काम आ सके।

    आरोप-प्रत्यारोप शुरू
    इस मामले में चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने मेडिकल टीचर्स को भरोसा दिलाया है कि उनका पैसा कहीं नहीं गया है। सिर्फ पेंशन खाता नहीं खुला था लेकिन उन्होंने जल्द से जल्द प्रान नंबर उपलब्ध करवाने और पेंशन खाते में राशि डालने के आदेश दे दिए हैं। उन्होंने कहा कि पेंशन की राशि मेडिकल कॉलेज के खाते में जमा है और सुरक्षित है लिहाजा किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। वहीं, इस मामले में कांग्रेस ने भी मोर्चा खोल दिया है और इसे घोटाला करार दिया है। कांग्रेस प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने आरोप लगाया है कि जिन डॉक्टरों ने कोरोना काल मे अपनी जान जोखिम में डाल दूसरों की जान बचाई अब उनके हक की राशि पर विवाद हो रहा है। कायदे से मंत्री को जिम्मेदारी लेते हुए इस्तीफा देना चाहिए।

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