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‘पेगासस’ जांच रिपोर्ट : 56 दिन बाद होने वाले संभावित खुलासे से बन सकता है चुनाव में बड़ा मुद्दा

October 30, 2021

नई दिल्ली। केंद्र की सत्ता का सेमीफाइनल कहा जाने वाला उत्तर प्रदेश चुनाव करीब आ चुका है। भाजपा सहित सभी राजनीतिक दल चुनाव की तैयारी में जुटे हैं। इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने ‘पेगासस स्पाईवेयर’ मामले की जांच के लिए एक समिति गठित कर दी है। इस समिति को आठ सप्ताह यानी 58 दिन में अपनी रिपोर्ट सर्वोच्च अदालत में पेश करनी है।

उस वक्त चुनावी तैयारियां चरम पर होंगी। रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद सुप्रीम कोर्ट इस मामले में अंतिम फैसला सुनाएगा। जांच समिति की रिपोर्ट केंद्र सरकार के खिलाफ आने पर ‘पेगासस’ मामला योगी आदित्यनाथ और भाजपा को राजनीतिक चोट पहुंचा सकता है और अगर रिपोर्ट में केंद्र सरकार को क्लीन चिट मिलती है तो विपक्ष के आरोपों की हवा निकल जाएगी।

उत्तर प्रदेश के चुनाव में ‘पेगासस’ मामले का हावी होना तय है
उधर कांग्रेस पार्टी सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद  इस मामले को लेकर उत्साहित है। उसे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट की जांच कमेटी, इस मामले की तह तक पहुंचकर सच्चाई बाहर ले आएगी। अगर ऐसा होता है तो उत्तर प्रदेश के चुनाव में ‘पेगासस’ मामले का हावी होना तय है। जबकि भाजपा को लगता है कि कमेटी अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय सुरक्षा की संवेदनशीलता का पूरा ध्यान रखेगी। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव फरवरी और मार्च में संभावित है।

यदि 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव की तारीखों पर गौर करें तो 11 फरवरी से 8 मार्च के बीच सात चरणों में वोट पड़े थे। इसी तरह साल 2012 के दौरान हुए विधानसभा चुनाव की तारीखें भी कुछ ऐसी ही रही थीं। उस समय भी यूपी में आठ फरवरी से 3 मार्च के बीच मतदान हुआ था। तब भी सात चरणों में वोटिंग हुई थी। अभी चुनाव आयोग ने अगले साल के शुरु में होने वाले मतदान का शेड्यूल जारी नहीं किया है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यूपी चुनाव 2022 में भी अपने तय समय पर ही होंगे।


सुप्रीम कोर्ट ने 58 दिन में तलब की जांच रिपोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले की जांच रिपोर्ट भी 58 दिन में तलब की है। इसका मतलब है कि जांच रिपोर्ट जनवरी तक आ जाएगी। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस तरह की जांच कमेटी का समय बढ़ाया जा सकता है। चूंकि अभी तक जांच कमेटी की पहली बैठक भी नहीं हुई है, जांच कमेटी का कार्यालय कहां होगा, यह भी अभी तय नहीं है।

माना जा रहा है कि जांच कमेटी को इजरायल और पेगासस स्पाईवेयर प्रदान करने वाली कंपनी ‘एनएसओ’ से बातचीत करने या दस्तावेज मंगाने की जरूरत पड़े। देश में पेगासस स्पाईवेयर के जरिए जिन लोगों की जासूसी हुई है, उन्हें कमेटी अपने सामने बुला सकती है। केंद्र सरकार के आईटी, आईबी, रॉ और एनटीआरओ जैसी तकनीकी एवं खुफिया एजेंसियों के प्रमुखों या दूसरे अधिकारियों को जांच कमेटी के सामने तलब किया जा सकता है। इन सबके चलते जांच कमेटी का कार्यकाल बढ़ाए जाने की संभावना है। 

जनवरी में पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट दे सकता है फैसला
यहां दोनों ही स्थितियों में पेगासस पर जांच कमेटी की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का अंतिम फैसला महत्वपूर्ण है। यदि उत्तर प्रदेश चुनाव तय समय पर होते हैं और जांच कमेटी अपनी रिपोर्ट निर्धारित समय सीमा में जमा करा देती हैं तो जनवरी में पेगासस मामले में सुप्रीम कोर्ट फैसला दे सकता है। उस वक्त यूपी में नामांकन प्रक्रिया का दौर और चुनाव प्रचार शुरु हो चुका होगा।

यदि जांच कमेटी को कुछ समय दिया जाता है तो वह ज्यादा से ज्यादा एक माह ही रहने की संभावना है। ऐसा कुछ होता है तो फरवरी में इस केस का फैसला सुनाया जा सकता है। कांग्रेस पार्टी के सांसद राहुल गांधी कहते हैं कि पेगासस जासूसी तो हुई है। देश में इसके लिए दो ही लोग अधिकृत हैं। एक प्रधानमंत्री और दूसरे गृह मंत्री। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विस्तृत रिपोर्ट पेश नहीं की। अगर प्रधानमंत्री ने हमारे ही देश पर किसी और देश से मिलकर आक्रमण किया है, तो फिर इस पर प्रधानमंत्री का भी रुख हम सुनना चाहते हैं। क्या उन्होंने ऐसा किया है, और अगर किया है, तो क्यों किया है।


पेगागस मामले को जमकर भुनाएंगे विपक्षी दल
अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला केंद्र सरकार के खिलाफ आता है तो कांग्रेस पार्टी ही नहीं, बल्कि दूसरे विपक्षी दल भी उसे यूपी चुनाव में जमकर भुनाएंगे। ऐसा फैसला, मुख्यमंत्री योगी और भाजपा को मुश्किल में डाल सकता है। देश के पूर्व गृह एवं वित मंत्री रहे पी. चिदंबरम ने कहा, पेगासस विवाद में उच्चतम न्यायालय के बुद्धिमान और साहसिक आदेश के बाद, पहला ढांचा बाहर हो गया है।

इजराइल के राजदूत ने सार्वजनिक रूप से कहा कि पेगासस स्पाइवेयर केवल सरकार को बेचा गया था। ऐसा है तो, भारत के मामले में खरीदार, निश्चित रूप से भारत सरकार थी। कांग्रेस, पेगासस मामले में यह मानकर चल रही है कि सुप्रीम कोर्ट देश को बताएगा कि इस जासूसी के पीछे किसका हाथ है। स्पाईवेयर किसने खरीदा था, किस फंड से पैसा गया था। राफेल लड़ाकू जहाज की डील का मुद्दा भी राहुल गांधी ने खूब उछाला था।

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