नयी दिल्ली । वैश्विक स्तर पर हल्के तेलों की मांग बढ़ने से बीते सप्ताह दिल्ली तेल-तिलहन बाजार (Delhi oil-oilseed market) में जहां सोयाबीन तेल कीमतों में सुधार आया, वहीं नाफेड द्वारा सस्ते दाम पर बिकवाली से सरसों में तथा आयात शुल्क घटाये जाने से पाम एवं पामोलीन तेल कीमतों में गिरावट रही। इसके बाद व्यापारियों की ओर से कहा जा रहा है कि सर्दी के मौसम में मूंगफली, सोयाबीन और बिनौला की तेज मांग के चलते इस सप्ताह भी इनकी कीमतों में बढ़ाव देखा जा सकता है।
बाजार सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह सरकार ने सोयाबीन डीगम और सीपीओ के आयात शुल्क को 957 डॉलर प्रति टन से बढ़ाकर 1,067 डॉलर प्रति टन कर दिया है। सोयाबीन डीगम के आयात शुल्क में वृद्धि से यहां सोयाबीन के सभी तेल-तिलहन कीमतों में सुधार आया। उन्होंने कहा कि विदेशों में हल्के तेलों की मांग बढ़ी है और हल्के तेलों में सोयाबीन डीगम के सस्ता होने से इसकी मांग है। इस वजह से भी सोयाबीन तेल-तिलहन कीमतों में सुधार दिखा।
सूत्रों ने कहा कि जाड़े के मौसम में भुनी मूंगफली की मांग बढ़ती है। स्थानीय मांग बढ़ने के साथ-साथ निर्यात की कुछ मांग आने से मूंगफली दाना, मूंगफली गुजरात और मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल-तिलहन कीमतों में भी सुधार दर्ज हुआ। उन्होंने कहा कि पिछले सप्ताह हरियाणा में नाफेड ने सरसों की बिक्री 5,872 रुपये क्विन्टल के भाव की थी, जबकि हरियाणा के ही महेन्द्रगढ़ में शुक्रवार को नाफेड ने 155 टन सरसों की बिक्री 5,451 रुपये क्विन्टल के भाव से की। नाफेड द्वारा कम भाव पर सरसों की बिक्री से सरसों तेल-तिलहन के भाव गिरावट का रुख प्रदर्शित करते बंद हुए।
सूत्रों ने कहा कि पिछले सप्ताह सीपीओ का आयात शुल्क घटाए जाने की वजह से सीपीओ और पामोलीन तेल कीमतों में भी गिरावट देखी गई। पाम तेल के आयात शुल्क को 37.5 प्रतिशत से घटाकर 27.5 प्रतिशत कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) नहीं मिलने के कारण कर्नाटक और महाराष्ट्र में सूरजमुखी तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। हाजिर मंडियों में सूरजमुखी तेल एमएसपी से लगभग 15 प्रतिशत नीचे बिक रहा है। इस वजह से जो फसल हर दो माह में आया करती थी, वह प्रभावित हुई है।
सूत्रों ने कहा कि सरसों की सबसे देर से फसल हरियाणा की मंडियों में 15 मार्च के लगभग आती है और इससे निकलने वाले तेल का रंग हरा होता है। इसे बाजार में खपाना मुश्किल होता है और इसे केवल पुरानी सरसों के साथ मिलावट कर ही बेचा जाना संभव है। इसलिए सरकार को जनवरी-फरवरी की मांग को देखते हुए सरसों की बहुत सोम समझकर बिकवाली करनी होगी। स्टॉक बचाकर रखने से ही उपभोक्ताओं को लाभ हो सकता है।
उन्होंने कहा कि भरतपुर सहित पूरे राजस्थान में शनिवार को सरसों तेल के भाव में लगभग 100 रुपये क्विन्टल की तेजी रही। उन्होंने कहा कि सोयाबीन डीगम के महंगा होने से सरसों में ब्लेंडिंग होने की संभावना भी घट गई है। बाजार सूत्रों ने कहा कि समीक्षाधीन सप्ताहांत में मूंगफली दाना और मूंगफली गुजरात के भाव 65 रुपये और 500 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 5,465-5,515 रुपये और 14,000 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड का भाव भी समीक्षाधीन सप्ताहांत में 65 रुपये का सुधार दर्शाता 2,160-2,220 रुपये प्रति टिन पर बंद हुआ।
सूत्रों ने कहा कि दूसरी ओर सरसों दाना और सरसों दादरी तेल के भाव क्रमश: 85 रुपये और 280 रुपये की गिरावट दर्शाते क्रमश: 6,165-6,235 रुपये और 12,200 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सरसों पक्की और कच्ची घानी के भाव क्रमश: 10-10 रुपये की हानि दर्शाते क्रमश: 1,870-2,020 रुपये और 1,990-2,100 रुपये प्रति टिन पर बंद हुए।
वैश्विक स्तर पर ‘सॉफ्ट आयल’ (हल्के तेल) की मांग बढ़ने के बीच सोयाबीन डीगम की मांग बढ़ी है और आगे इस तेल की मांग और बढ़ेगी। बीते सप्ताह वैश्विक स्तर पर बढ़ती मांग के बीच सोयाबीन दाना और लूज के भाव क्रमश: 50-50 रुपये के सुधार के साथ क्रमश: 4,550-4,600 रुपये और 4,385-4,415 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए। सोयाबीन दिल्ली, इंदौर और डीगम के भाव भी क्रमश: 150 रुपये, 150 रुपये और 80 रुपये का सुधार दर्शाते क्रमश: 11,750 रुपये, 11,450 रुपये और 10,530 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुए थे ।
सूत्रों ने कहा कि इसी तरह से बीते सप्ताह में आयात शुल्क घटाकर 27.5 प्रतिशत किये जाने के बाद समीक्षाधीन सप्ताहांत में सीपीओ, पामोलीन दिल्ली और पामोलीन कांडला की कीमतें भी क्रमश: 410 रुपये, 350 रुपये और 300 रुपये की गिरावट के साथ क्रमश: 8,820 रुपये, 10,350 रुपये और 9,550 रुपये प्रति क्विन्टल पर बंद हुईं थे । सोयाबीन डीगम के मुकाबले 700-800 रुपये प्रति क्विन्टल सस्ता होने से बिनौला तेल की मांग बढ़ी है जो आगे और बढ़ सकती है। बिनौला तेल की कीमत समीक्षाधीन सप्ताह में 50 रुपये का सुधार दर्शाती 10,150 रुपये क्विन्टल पर बंद हुई थे ।
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