भोपाल। मध्यप्रदेश में नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी नए दिशा निर्देश जारी हो रहे हैं। इसी कड़ी में प्रदेश कांग्रेस कमेटी (पीसीसी) की ओर से चुनाव लडऩे के इच्छुक नेताओं (कार्यकर्ताओं) के लिए नई गाइडलाइन जारी की गई है। इसके पहले भी पीसीसी द्वारा प्रत्याशियों के लिए शपथ पत्र भरना अनिवार्य किया गया था। कार्यकर्ताओं एवं पार्टी के भीतर ही विरोध के स्वर उठने के बाद इस निर्णय को वापस ले लिया था। अब नई गाइडलाइन के मुताबिक जो कार्यकर्ताओं जिस वार्ड का निवासी हैं वो वहीं से पार्षद का चुनाव लड़ेगा। अपना वार्ड छोड़कर मन पसंद वार्ड में चुनाव नहीं लड़ पाएगा। इससे कांग्रेस में दूसरे वार्ड से टिकट मांग रहे नेताओं को बड़ा झटका लगा है। पीसीसी की ओर से जारी गाइडलाइन के तहत जिस वार्ड के मतदाता है उसे उसी वार्ड से टिकट मिलेगा। इस संबंध में पीसीसी चीफ कमलनाथ ने नए निर्देश दिए हैं। नए निर्देश के तहत किसी भी उम्मीदवार का वार्ड परिवर्तन नहीं होगा। इस नए नियम से कई दिग्गज पूर्व पार्षदों को बड़ा झटका लगा है। अब इसी के साथ कह सकेंगे कि कांग्रेस में नहीं चलेंगे बाहरी प्रत्याशी। नई गाइडलाइन सभी निकायों के लिए जारी की गई है। बात दें कि बाहरी दावेदारों के विरोध पर कांग्रेस में भोपाल और इंदौर में लात घूसें चल चुके हैं। पीसीसी चीफ कमलनाथ को प्रदेशभर से बाहरी प्रत्याशियों के विरोध की शिकायतें मिल रही थी।
कई दिग्गज नेताओं की बढ़ी परेशानी
नगरीय निकाय चुनाव मे पार्षदों के टिकट बांटने में भाजपा व कांग्रेस के रणनीतिकारों को पसीना आ रहा है। पिछले एक व डेढ़ दशक से परिषद का हिस्सा रहे दबंग पूर्व पार्षद दूसरे वार्डों के समीकरण भी बिगाड़ रहे थे। वार्ड आरक्षण के बाद इन पूर्व पार्षदों ने पड़ोसी वार्डों पर नजरें गढ़ा दी थी। चुनाव आयोग की गाइड लाइन के कारण स्वयं टिकट की दौड़ से बाहर होने पर ये नेता अपने परिवार के सदस्य को टिकट देने के लिए संगठन पर दबाव बना रहे हैं।
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