साढ़े 3 करोड़ की पानी चोरी भी निगम के महाघोटाले में शामिल
अग्निबाण इम्पैक्ट… खबर छपते ही एमजी रोड थाने ने तीन और ठगोरी फर्मों के खिलाफ दर्ज कर ली एफआईआर, दो अन्य फर्मों की जानकारी भी मांगी तो एसआईटी ने 15 साल के सारे रिकॉर्ड कर लिए तलब
इंदौर। शासन (government) द्वारा निगम (corporation) के फर्जी बिल (fake bills) महाघोटाले (mega scam) की जांच को लेकर गठित किए गए जांच दल (investigation team) ने कल निगम मुख्यालय पहुंच 15 साल का रिकॉर्ड मांग लिया। अभी बीते 5-6 साल में हुए भुगतान में जो फर्जीवाड़ा पकड़ाया उसके चलते अब जांच दल 2010 से अब तक हुए सभी भुगतानों की जांच करेगा। इसके लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की निगम शाखा से पूरा ब्योरा मांगा गया है। सूत्रों का कहना है कि इन 15 सालों में 5 हजार करोड़ (5 thousand crores) से अधिक का भुगतान तमाम ठेकेदार फर्मों को हुआ है, जिसमें बड़े पैमाने पर इसी तरह की गड़बडिय़ां संभव है। दूसरी तरफ अग्निबाण में खबर छपने के 24 घंटे के भीतर ही एमजी रोड थाने ने 3 और उजागर हुई फर्जी फर्मों के कर्ताधर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली। अग्निबाण ने ही आरएस इन्फ्रास्ट्रक्चर, डायमंड एसोसिएट और कास्मो इंटरप्राइजेस की जानकारी प्रकाशित की थी। वहीं मेट्रो और एवन फर्मों की जानकारी भी पुलिस ने निगम से मांगी है। दूसरी तरफ साढ़े 3 करोड़ की पानी चारी का आंकड़ा भी इस महाघोटाले में शामिल हो गया, तो फर्जी बिलों का आंकड़ा भी 250 पार ( crossed 250) पहुंच गया है।
निगम के इस महाघोटाले की परत दर परत अग्निबाण द्वारा निरंतर उजागर की जा रही है, जिसमें कई नई फर्मों और उनको किए गए भुगतान के साथ-साथ उनके कर्ताधर्ताओं का खुलासा भी किया गया। नगर निगम के बहुचर्चित करोड़पति और बर्खास्त बेलदार असलम खान का भी कनेक्शन इस फर्जी बिल घोटाले में साबित हो गया। कल रात एमजी रोड पुलिस ने आरएस इन्फ्रास्ट्रक्चर के राजेन्द्र शर्मा के साथ-साथ डायमंड एसोसिएट के संचालक जाहिद खान और कास्मो इंजीनियरिंग के एहतेशाम उर्फ काकू, जो कि असलम का सगा भाई है और भागीदारी में बिल्किस खान, जो कि असलम की मां है, के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कर ली, जिसकी पुष्टि करते हुए थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया ने बताया कि इन फर्मों ने भी फर्जी बिल बनाकर करोड़ों रुपए का भुगतान निगम से हासिल कर लिया। इसमें भी ड्रेनेज लाइन डालने की जानकारी अलग-अलग क्षेत्रों की आई है, वहीं मेट्रो और एवन फर्मों की जानकारी भी निगम से मांगी गई है। दूसरी तरफ मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के निर्देश पर शासन ने जो उच्च स्तरीय जांच समिति बनाई उसके सदस्य कल इंदौर पहुंचे। इस समिति की अध्यक्षता प्रमुख सचिव वाणिज्यिक कर अमित राठौर कर रहे हैं और उनके साथ सचिव वित्त अजीत कुमार और लोनिवि के मुख्य अभियंता को शामिल किया गया है। कल सुबह ये आला अफसर भोपाल से इंदौर पहुंचे और फिर कलेक्टर आशीष सिंह के साथ निगम मुख्यालय गए, जहां आयुक्त शिवम वर्मा व अन्य अधिकारियों से इस महाघोटाले की जानकारी ली। साथ ही एसबीआई के मैनेजर को भी बुलाया। जांच कमेटी ने अपना दायरा बढ़ाते हुए 15 सालों में हुए सभी भुगतानों का ब्योरा निगम से मांगा है। यानी 2010 से लेकर 2024 तक की सभी ठेकेदार फर्मों की कुंडली तैयार की जाएगी। निगम सूत्रों का कहना है कि इन 15 सालों में लगभग 5 हजार करोड़ रुपए या उससे भी अधिक का भुगतान तमाम ठेकेदार फर्मों को हुआ है। दूसरी तरफ भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधायक गोपीकृष्ण नेमा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस पूरे घोटाले की गंभीरता से जांच कराने की मांग की है और उन्होंने भी एक हजार करोड़ रुपए तक का घोटाला होने का अनुमान लगाया है। दूसरी तरफ अभी तक फर्जी बिलों का आंकड़ा ही 250 पार पहुंच गया है, तो निगम की गिरफ्तमें आए अभियंता अभय राठौर से भी पूछताछ जारी है। हालांकि आज उसका पुलिस रिमांड भी खत्म हो रहा है और कोर्ट में पेश किया जाएगा। अगर रिमांड की अवधि नहीं बढ़ती है तो उसे भी अन्य आरोपियों की तरह जेल भेज दिया जाएगा। उसके गुलाब बाग स्थित घर से 4 इंच का अवैध नल कनेक्शन निगम टीम ने ढूंढा, तो उसके जीजा व अन्य रिश्तेदारों के घर भी एक-एक इंच के कनेक्शन मिले हैं। नर्मदा परियोजना ने साढ़े 3 करोड़ रुपए का बिल पानी चोरी का बनाया है, जो कि राठौर और उसके जीजा चौहान सहित अन्य रिश्तेदारों से वसूल किया जाएगा।
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