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    350 बिलों में ही 140 करोड़ का भुगतान उजागर, अफसर, कर्मचारियों, ठेकेदारों के साथ निगम नेताओं के गठजोड़ ने खजाने पर डाले डाके

  • May 21, 2024

    15 साल के तैयार हो रहे ब्योरे के बाद कई गुना बढ़ जाएगा आंकड़ा… अभय राठौर का रिमांड आज खत्म, नहीं बढ़ा तो जाएगा जेल

    इंदौर। निगम (corporation) का फर्जी बिल महाघोटाला (fake bill mega scam) बीते एक माह से मीडिया (media) की सुर्खियों में है। वहीं अग्रिबाण (agniban) भी लगातार इस घोटाले से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्यों का खुलासा कर रहा है और जिन नई फर्मों की जानकारी प्रकाशित की वे भी सब सही निकली, जो कि मीडिया के साथ-साथ पुलिस (police) की जांच में मददगार साबित हो रही है। अफसर, कर्मचारियों, ठेकेदारों के साथ निगम नेताओं का गठजोड़ इस पूरे महाघोटाले में साफ नजर आ रहा है। यह बात अलग है कि कई लोग कागजों पर आरोपी साबित नहीं होंगे मगर उनका दबाव-प्रभाव इस पूरे फर्जीवाड़े में रहा है। अभी तक 350 बिलों (350 bills) में ही 140 करोड़ ( 140 crore) का भुगतान (Payment) उजागर हुआ, जिसमें से 90 करोड़ रुपए से अधिक की राशि तो निकाली भी जा चुकी है। 15 साल का जो ब्योरा शासन की एसआईटी ने निगम से मांगा है उसके तैयार होने पर इस महाघोटाले का आंकड़ा कई गुना बढ़ सकता है।


    अग्रिबाण ने कल मातोश्री, एनएन एंड ए के अलावा हनी, केजीएन इन्फ्रास्ट्रक्चर फर्मों की जानकारी भी उजागर की। इसमें मातोश्री फर्म तो निगम के ही लेखा शाखा में पदस्थ रहे बाबू सुनील भंवर के बेटे की है। पिछले दिनों ही इस बाबू को भी निलंबित कर दिया था। निगम के ही जानकारों का कहना है कि 25 फीसदी ठेकेदार फर्में नगर निगम के ही अफसरों, कर्मचारियों के बेटे, रिश्तेदारों, परिचितों के नाम पर बनाई गई। चूंकि इन्हें निगम की पूरी प्रक्रिया पता है। लिहाजा इन फर्मों के जरिए ठेके तो दिलवाए ही, वहीं फर्जी बिल बनाकर करोड़ों का भुगतान भी हासिल कर लिया। निगम ने अभी एनएन एंड ए, मातोश्री, मेट्रो फर्मों को ही 4.45 करोड़ का भुगतान हो जाने की जानकारी निकाली है। वहीं अग्रिबाण को केजीएन इन्फ्रास्ट्रक्चर के कुछ कार्यों की जानकारी भी मिली है, जिसमें झोन क्र. 10, वार्ड 39 में शेरशाह सूरी नगर के पास पटेल नगर में मस्जिद के आसपास की विभिन्न गलियों के सीमेंटीकरण का ही ठेका 34.91 लाख का मिला, तो इसी तरह इसी वार्ड 39 में जकरिया कॉलोनी मुख्य मार्ग और बगीचे के आसपास की सडक़ों के सीमेंटीकरण का काम भी 56.86 लाख के अलावा रजा कॉलोनी में सीमेंटीकरण कार्य का जो फाइनल बिल बना वह 8.86 लाख का है। दरअसल, कई वार्डों में पार्षदों की मिलीभगत से भी इस तरह के फर्जी बिल तैयार हुए है और जिन लोगों के नाम इस महाघोटाले में उजागर हुए उन अफसरों और कर्मचारियों को नगर निगम से जुड़े नेताओं का ही संरक्षण रहा है। यहां तक कि पुलिस की गिरफ्त में आए कार्यपालन यंत्री और इस पूरे महाघोटाले के मास्टरमाइंड अभय राठौर का ही कनेक्शन शहर के बड़े नेताओं से रहा है। पूर्व में भी पाइप कांड, ट्रेंचिंग ग्राउंड में मिट्टी कांड से लेकर कई घोटाले में इन नेताओं ने ही अभय राठौर को बचाया और अभी कुछ समय पूर्व नए निगमायुक्त शिवम वर्मा पर भी भोपाल के कुछ बड़े अफसर और शहर के प्रभावशाली नेताओं ने दबाव डालकर उसकी पोस्टिंग बिजली विभाग में करवा दी। इतना ही नहीं, अभय राठौर की पकड़ इतनी तगड़ी रही कि ईओडब्ल्यू की जांच से भी वह बच निकला, जबकि 19 करोड़ रुपए से अधिक आय से अधिक सम्पत्ति का मामला उसके खिलाफ दर्ज हुआ था और ईओडब्ल्यू ने क्लिनचीट दे डाली। वहीं एमजी रोड थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया के मुताबिक अभय राठौर की रिमांड अवधि आज खत्म होगी। हालांकि बढ़ाने की मांग कोर्ट से की जाएगी।

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