स्टॉकहोम। आर्थिक विज्ञान में 2020 का नोबेल पुरस्कार पॉल आर मिलग्रॉम और रॉबर्ट बी विल्सन को दिया गया है। इन दोनों ही अर्थशास्त्रियों को ये सम्मान उनके “नीलामी के सिद्धांत और नए नीलामी प्रारूपों के आविष्कारों में सुधार” के लिए दिया गया है। ये पुरस्कार देने वाली समिति ने कहा कि अमेरिकी अर्थशास्त्रियों की नीलामी के सिद्धांत और नए नीलामी प्रारूपों के आविष्कार में सुधार करने का काम सराहनीय है।
72 वर्षीय मिलग्रॉम, स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में मानविकी और विज्ञान के प्रोफेसर हैं। 83 वर्षीय विल्सन, स्टैनफोर्ड में प्रतिष्ठित प्रोफेसर एमेरिटस हैं। नोबेल समिति ने कहा, “उनकी खोजों ने दुनिया भर के विक्रेताओं, खरीदारों और करदाताओं को लाभान्वित किया है।” यह देखते हुए कि विजेताओं द्वारा विकसित नीलामी प्रारूपों का उपयोग रेडियो आवृत्तियों, मछली पकड़ने के कोटा और हवाई अड्डे के लैंडिंग स्लॉट को बेचने के लिए किया गया है। यह नोबेल पुरस्कार ऐसे समय में दिया जा रहा है जब दुनिया के अधिकांश देश कोरोना वायरस के प्रभाव के कारण द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सबसे खराब मंदी का सामना कर रहे हैं।
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The 2020 Sveriges Riksbank Prize in Economic Sciences in Memory of Alfred Nobel has been awarded to Paul R. Milgrom and Robert B. Wilson “for improvements to auction theory and inventions of new auction formats.”#NobelPrize pic.twitter.com/tBAblj1xf8— The Nobel Prize (@NobelPrize) October 12, 2020
समिति ने कहा कि विल्सन के काम से पता चलता है, “तर्कसंगत बोली लगाने वाले सामान्य मूल्य के अपने सर्वश्रेष्ठ अनुमान के नीचे बोलियां लगाते हैं” अर्थात “वह मूल्य जो पहले से अनिश्चित है, लेकिन अंत में, सभी के लिए समान है।” समिति ने कहा, “(बोली लगाने वाले) विजेता के अभिशाप के बारे में चिंतित होते हैं – अर्थात, बहुत अधिक भुगतान करने और खोने के बारे में।”
मिलग्रॉम ने नीलामियों के एक अधिक सामान्य सिद्धांत को विकसित किया जिसे ध्यान में रखते हुए “निजी मूल्य” के रूप में जाना जाता है जिसे बेचा जा रहा है जो बोली लगाने वाले से बोली लगाने वाले के लिए बहुत भिन्न हो सकता है। पिछले साल अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार एमआईटी के प्रोफेसर अभिजीत बनर्जी और एस्टर डुफ्लो और हार्वर्ड इकोनॉमिस्ट माइकल क्रेमर को “वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए अपने प्रयोगात्मक दृष्टिकोण” के लिए दिया गया था।
नोबेल शांति पुरस्कार
इससे पहले नार्वे की नोबेल समिति ने विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) को 2020 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का फैसला किया। यह संगठन साल 1961 से दुनियाभर में भूख के खिलाफ लड़ाई लड़ रहा है। यह सुनिश्चित करता है कि खाद्य सुरक्षा के जरिए देशों की आबादी को मूलभूत ताकत दी जा सके। नोबेल पुरस्कार के तहत स्वर्ण पदक, एक करोड़ स्वीडिश क्रोना (तकरीबन 8.27 करोड़ रुपये) की राशि दी जाती है। स्वीडिश क्रोना स्वीडन की मुद्रा है। यह पुरस्कार स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल के नाम पर दिया जाता है। इससे पहले, रसायन विज्ञान और भौतिकी सहित कई क्षेत्रों में इस साल के नोबेल पुरस्कार की घोषणा की जा चुकी है।
साहित्य का नोबेल प्राइज
साल 2020 के साहित्य के नोबल प्राइज की घोषणा गुरुवार हो गई। अमेरिका कवयित्री लुईस गल्क को इस साल साहित्य के नोबल पुरस्कार से नवाजा गया है। पुरस्कार की घोषणा करते हुए स्वीडिश अकादमी ने ट्वीट किया है कि साल 2020 के साहित्य का नोबल प्राइज अमेरिकी साहित्यकार लुईस गल्क को व्यक्तिगत अस्तित्व को आवाज देती कविता के लिए दिया जा रहा है। बता दें कि लुईस बेहद सम्मानित साहित्यकार हैं। वो सामाजिक मुद्दों पर भी काफी सक्रिय रहती हैं।
इससे पहले आनुवंशिक रोगों और यहां तक कि कैंसर के उपचार में भविष्य में मददगार साबित होने वाली ‘‘जीनोम एडिटिंग’’ की एक पद्धति विकसित करने के लिये रसायन विज्ञान के क्षेत्र में 2020 का नोबेल पुरस्कार दो महिला वैज्ञानिकों को देने की बुधवार को घोषणा की गई थी।
स्टॉकहोम में स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज ने यह प्रतिष्ठित पुरस्कार इमैनुए शापेंतिये और जेनिफर ए. डॉना को देने की घोषणा की। यह पहला मौका है जब रसायन विज्ञान के क्षेत्र में दो महिलाओं को एक साथ इस पुरस्कार से सम्मानित करने की घोषणा की गई है। फ्रांसीसी वैज्ञानिक शापेंतिये और अमेरिकी वैज्ञानिक जेनिफर ने ‘सीआरआईएसपीआर/सीएएस9’ (क्रिस्पर/कास9) नाम की एक पद्धति विकसित की, जिसका इस्तेमाल जंतुओं, पौधों और सूक्ष्म जीवों के डीएनए को अत्यधिक सूक्ष्मता से बदलने में किया जा सकता है।
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