सिमडेगा। पांच साल पहले (five years ago) ही दोनों ने भगवान को साक्षी मानकर साथ जीने-मरने की कसमें (vows to live together) खाई थीं। तब कहां पता था कि बहुत जल्द जिंदगी में वह मोड़ भी आएगा जब उन्हें एक-दूजे से अलग होना पड़ेगा। यह कहानी है पटना में रह रहे युवक (Young man living in Patna) और जर्मनी में रह रही युवती (girl living in Germany) की। दोनों का गुरुवार को जिला विधिक प्राधिकार के मध्यस्थता शिविर में ऑनलाइन तलाक (online divorce) हुआ।
अदालत ने दोनों के बीच आपसी समझौते के अधार पर तलाक की स्वीकृति प्रदान की। युवती सिमडेगा जिले के लचरागढ़ की रहनेवाली है। शादी के बाद नौकरी के लिए जर्मनी से बुलावा आया तो वह फौरन उड़ चली जबकि सरकारी नौकरी कर रहे पति ने पटना में ही रहने का फैसला किया। इस सात समंदर के फासले ने धीरे-धीरे दोनों के दिलों में भी दूरियां पैदा कर दीं। प्यार धूमिल पड़ने लगा और अनबन शुरू हो गई।
मामला ज्यादा न बिगड़े यह सोचकर दोनों ने तलाक के लिए न्यायालय में अर्जी दी जो कि डालसा के माध्यम से मध्यस्थता शिविर में पहुंचा। कोर्ट ने इस पर वर्चुअल सुनवाई की और जर्मनी में बैठी पत्नी और पटना में मौजूद पति के बीच बातचीत कराई। सुनवाई के क्रम में दोनों ने आपसी रजामंदी से बिना किसी शर्त के तलाक के लिए सहमति दी। इसके बाद कोर्ट ने दोनों के समझौते को स्वीकार कर लिया।
एसडीजेएम सह प्राधिकार के सचिव मनीष कुमार ने बताया कि युवक-युवती का विवाह वर्ष 2017 में सिमडेगा के बानो थाना क्षेत्र के प्रसिद्ध मंदिर केतुंगा धाम में हुआ था। कुछ माह बाद युवती जर्मनी चली गई जबकि युवक पटना में सरकारी नौकरी करने लगा। करीब तीन वर्षों तक अलग-अलग रहने के बाद दोनों ने अलग होने का फैसला लिया। दोनों ने संयुक्त रूप से पीडीजे कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन दिया। इसपर गुरुवार को सुनवाई हुई। उन्होंने बताया कि जिले में तलाक के पहले ऐसे मामले का निष्पादन हुआ जिसमें दोनों पक्ष अलग-अलग देश में रह रहे थे।
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