• img-fluid

    बिहार में जाति आधारित जनगणना पर रोक लगा दी पटना हाईकोर्ट ने

  • May 04, 2023


    पटना । बिहार में (In Bihar) जाति आधारित जनगणना पर (On Caste Based Census) पटना हाईकोर्ट (Patna High Court) ने रोक लगा दी (Banned) । जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पटना हाईकोर्ट ने गुरुवार को अंतरिम आदेश जारी किया ।


    पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के विनोद चंद्रन और जस्टिस मधुरेश प्रसाद की पीठ ने इस मामले पर बहस पूरी होने के बाद गुरुवार को फैसला सुनाया। इस केस की अगली सुनवाई 3 जुलाई को होगी, तब तक जातिगत जनगणना पर स्टे रहेगा। हालांकि अब तक जो डेटा इकट्ठा किया गया है, उसे सुरक्षित रखा जाएगा। बता दें कि बिहार में जाति आधारित गणना का दूसरा और आखिरी चरण चल रहा है। अब इस पर संकट के बादल मंडरा गए हैं।

    पटना हाईकोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी कर जातिगत गणना पर स्टे लगाया है। महाधिवक्ता पीके शाही ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अभी तक उन्होंने फैसले की पूरी कॉपी पढ़ी नहीं है। पढ़ने के बाद ही इस पर कुछ बता पाएंगे। हाईकोर्ट के खिलाफ शीर्ष अदालत में जाना है या नहीं, इसपर भी फैसला अभी नहीं लिया गया है, वहीं याचिकाकर्ताओं के वकील ने फैसले के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार सरकार का जातिगत गणना कराने का काम असंवैधानिक था। कोर्ट ने अबी स्टे कर दिया है। अब 3 जुलाई को विस्तार से दोनों पक्षों की दलीलें सुनी जाएंगी।

    पटना हाईकोर्ट से नीतीश सरकार को बड़ा झटका लगा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा जाति आधारित जनगणना सब लोगों की राय से तय हुई है ये सबके हित के लिए हो रहा है, लेकिन मुझे समझ में नहीं आ रहा इसका विरोध क्यों हो रहा है? इसका मतलब लोगों को मौलिक चीज़ों की समझ नहीं है। ये पहले अंग्रेज़ों के जमाने से तो होता ही था, ये 1931 से बंद हुआ।

    पटना हाईकोर्ट में जातीय गणना के खिलाफ दायर याचिकाओं पर बहस के दौरान नीतीश सरकार की ओर से अपना पक्ष रखा गया। सरकार ने कहा कि राज्य सरकार को गणना कराने का अधिकार है। यह जनगणना नहीं है। इसमें आर्थिक रूप से पिछड़े समेत अन्य लोगों की गणना करनी है। उन्होंने कहा कि जाति आधारित गणना में लोगों से 17 प्रश्न पूछे जा रहे हैं। इनसे किसी की भी गोपनीयता भंग नहीं हो रही है। महज कुछ लोग जातिगत गणना का विरोध कर रहे हैं। बाकी सभी खुलकर अपनी जाति बता रहे हैं और सवालों का जवाब दे रहे हैं।

    याचिकाकर्ताओं ने अदालत में दलील देते हुए कहा कि नीतीश सरकार ने इस बात का कहीं भी जिक्र नहीं किया कि जातीय गणना क्यों कराई जा रही है। इसके लिए इमरजेंसी फंड से 500 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं, जबकि इससे पैसा निकालने के लिए कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होता है। इसके जवाब में महाधिवक्ता पीके शाही ने कहा कि जातिगत गणना का प्रस्ताव दोनों सदनों से सर्वसम्मति से पारित हुआ था, साथ ही राज्य कैबिनेट ने इसके लिए बजट का प्रावधान किया है, इमरजेंसी फंड से एक भी पैसा खर्च नहीं किया जा रहा है।

    Share:

    Buddha Purnima 2023 : जीवन में नहीं हरा पाएगा कोई, बस हमेशा याद रखें गौतम बुद्ध की ये अहम बातें

    Thu May 4 , 2023
    नई दिल्‍ली (New Delhi) । बौद्ध धर्म (Buddhism) के अनुयायियों के लिए बुद्ध पूर्णिमा (Buddha Purnima 2023) सबसे महत्वपूर्ण त्‍योहार है. इसे ‘बुद्ध जयंती’ के नाम से भी जाना जाता है. हर साल ये वैशाख पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि गौतम बुद्ध भगवान विष्णु के […]
    सम्बंधित ख़बरें
  • खरी-खरी
    सोमवार का राशिफल
    मनोरंजन
    अभी-अभी
    Archives
  • ©2024 Agnibaan , All Rights Reserved