नई दिल्ली। देशभर में त्योहारी सीजन (festive season) के दौरान कोविड-19(Covid-19) की जांचों में बड़ी गिरावट दर्ज की गई, जिसका असर यह रहा कि अब हर दिन कम नए संक्रमित मरीज (newly infected patients) मिल रहे हैं। पर हर दिन कोरोना के कारण मरने वाले संक्रमित मरीजों की संख्या में कोई कमी नहीं आयी है। उदाहरण के लिए वर्ल्डोमीटर्स के मुताबिक, देश में शनिवार को 11,680 नए मरीज मिले जबकि 393 मौतें हुईं। एक दिन में इतनी ज्यादा मौतें तब भी हो रही थीं, जब हर दिन करीब 50 हजार मरीज मिल रहे थे। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर जांचें नहीं बढ़ाई गईं तो संक्रमित मरीजों (infected patients) का समय रहते पता नहीं लग सकेगा जिससे स्थिति गंभीर हो सकती है।
पिछले महीने अक्तूबर के दूसरे सप्ताह से हर दिन होने वाली जांचों में ढिलाई देखी जाने लगी थी। यह वक्त था देश में नवरात्र(Navratra) की शुरूआत का, जिसके साथ देशभर में कई छोटे-बड़े पर्व शुरू हुए, ऐसे में ज्यादा मेलजोल व भीड़ भी बढ़ी। इसे देखते हुए सरकारों को जांचें व कांटेक्ट ट्रेसिंग का काम तेज कर देना चाहिए था लेकिन इसी समय ढिलाई दिखने लगी।
दूसरी लहर (Second wave) के बाद से देश में हर दिन औसतन 15 लाख से अधिक जांचें हो रही थीं, कई-कई दिन 20-20 लाख भी नमूने जांचे गए। मगर अक्तूबर आते-आते रोजाना जांचें औसतन 10 लाख ही रह गईं हैं। देश में शनिवार को भी चौबीस घंटों के भीतर मात्र 8.10 लाख नमूने ही जांचे गए। ध्यान रहे कि जितने ज्यादा सैंपलों की जांच होगी, उतने ज्यादा संक्रमित मरीजों का समय रहते पता लगाया जा सकेगा, जिससे उन्हें आइसोलेट करना आसान होगा। वरना संक्रमित लोग अपनी बीमारी से अनजान रहने के कारण अपने आसपास संक्रमण फैलाएंगे।
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