गोरखपुर (Gorakhpur)। महानगर में बिगड़े प्रदूषण (worsening pollution) के कारण क्रॉनिक ऑब्स्टेक्ट्री पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) के मरीजों (Chronic Obstructive Pulmonary Disease (COPD) patients) की संख्या में तेजी से इजाफा (Rapid increase) हो रहा है। जिले में करीब 80 हजार लोग सांस सम्बन्धी बीमारियों (80 thousand people suffering from respiratory diseases) की चपेट में हैं।
यह कहना है चेस्ट फिजिशियन डॉ अजय श्रीवास्तव और डॉ एसपी राय का। बुधवार को दोनों डॉक्टरों ने विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर पत्रकारों से बातचीत में बताया कि बीते एक साल में सीओपीडी के मरीजों की संख्या में करीब 25 फीसदी का इजाफा हुआ है।
हवा में प्रदूषण की मात्रा बढ़ने से लोगों की दिक्कत बढ़ी है। धूम्रपान तो केवल बड़ों को प्रभावित कर रहा है लेकिन प्रदूषण नवजातों को भी नहीं छोड़ रहा है। जिले में 80 हजार लोगों के सीओपीडी से ग्रसित होने का अनुमान है।
मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण
चेस्ट फिजिशियन डॉ नदीम अरशद ने बताया कि बीमारी से होने वाली मौत का तीसरा सबसे बड़ा कारण सांस सबंधी रोग हैं। धूम्रपान और प्रदूषण से इसके मरीजों की संख्या में तेजी से बढ़ रही है। बचपन में कम विकसित फेफड़े वाले मरीजों में सीओपीडी होने का खतरा सबसे अधिक होता है।
बीआरडी में किया गया मरीज को जागरूक
बीआरडी मेडिकल कॉलेज के टीबी चेस्ट विभाग में बुधवार को जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में ओपीडी में पहुंचे मरीज व तीमारदारों को जागरूक किया गया। विभागाध्यक्ष डॉ. अश्वनी मिरा ने बताया कि इस कार्यक्रम में मरीज और तीमारदारों को सीओपीडी से बचाव की जानकारी देने वाले पम्पलेट बांटे गए। इसके अलावा डिस्प्ले बोर्ड और टीवी स्क्रीन लगाकर सीओपीडी के खतरे को बताया गया।
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