इंदौर (Indore)। महू-इंदौर-भोपाल इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन (Mhow-Indore-Bhopal Intercity Express Train) के केवल भोपाल (Bhopal) तक चलने से रानी कमलापति स्टेशन (Kamalapati Station) या आसपास के इलाकों में जाने वाले यात्री परेशान हो रहे हैं। पहले यह ट्रेन रानी कमलापति स्टेशन (हबीबगंज) तक चलती थी, लेकिन बाद में यह कहते हुए इसे भोपाल तक रोक दिया गया कि भोपाल-रानी कमलापति के बीच तीसरी रेल लाइन बिछने के बाद इंटरसिटी ट्रेन को फिर रानी कमलापति से चलाया जाने लगेगा। यह काम पूरा हो चुका है, लेकिन अब तक ट्रेन को भोपाल के बजाय रानी कमलापति तक बढ़ाने की कोई कवायद रेलवे द्वारा नहीं शुरू की गई है।
इंदौर के यात्री इसलिए परेशान होते हैं, क्योंकि भोपाल स्टेशन पर उतरकर उन्हें रानी कमलापति तक आने-जाने के लिए अव्वल तो यात्री ट्रेनों के जनरल कोच में जगह नहीं मिलती, मिल भी जाए, तो जनरल का टिकट लेने के लिए उन्हें लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता है। इसके अलावा जिन यात्रियों को रानी कमलापति स्टेशन के आसपास के इलाकों में जाना हो, तो वे मजबूरन ऑटो रिक्शा में सफर करते हैं और 175 से 200 रुपए तक का किराया चुकाते हैं। यानी इंटरसिटी के जनरल क्लास या सामान्य सीटिंग आरक्षण टिकट से भी महंगा भोपाल स्टेशन से रानी कमलापति जाना हो गया है। भोपाल इंटरसिटी एक्सप्रेस में जनरल श्रेणी का किराया 80, सामान्य सीटिंग (आरक्षित) 100 और एसी चेयरकार का किराया 365 रुपए है।
10 कोच से शुरू हुई थी ट्रेन आज लगते हैं 21 कोच
इंटरसिटी ट्रेन शुरुआत से ही काफी लोकप्रिय है, क्योंकि भोपाल जाने के लिए यह उज्जैन होकर लंबे रास्ते से नहीं जाती। यह ट्रेन देवास-मक्सी लाइन से गुजरती है, जिससे सीधा पौन घंटा बचता है। इसके स्टॉपेज भी कम हैं। इंदौर से भोपाल आने-जाने का समय यात्रियों के लिए सुविधाजनक है, क्योंकि इससे सुबह इंदौर से भोपाल पहुंचकर रात तक लौटा जा सकता है। स्थिति यह है कि 10 कोच से चल रही यह ट्रेन अब 21 कोच से चलाई जा रही है। यात्रियों का कहना है कि यह ट्रेन रानी कमलापति तक चले, तो किराया बमुश्किल पांच-10 रुपए बढ़ेगा। इससे दूसरी ट्रेनों में सामान के साथ बैठने या महंगी ऑटो रिक्शा नहीं करना पड़ेगी।
आग्रह करने के बावजूद कुछ नहीं हुआ
रेलवे मामलों के जानकार नागेश नामजोशी भी मानते हैं कि इंटरसिटी एक्सप्रेस को रानी कमलापति तक चलाया जाना चाहिए। उन्होंने बताया कि रतलाम रेल मंडल को इसका प्रस्ताव पश्चिम मध्य रेलवे को भेजना चाहिए। इस संबंध में सांसद शंकर लालवानी ने रेल अफसरों से पिछले साल आग्रह किया था, लेकिन कुछ नहीं हुआ।
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