भोपाल। मध्य प्रदेश में 28 विधानसभा सीटों पर हो रहे उपचुनाव में किसी बड़े नेता का चेहरा नहीं बल्कि कार्यकर्ता जीत दिलाएगा। यही सबसे बड़ा कारण है कि भाजपा हो या फिर कांग्रेस दोनों ही पार्टियों का फोकस अपने अपने कार्यकर्ताओं पर है। यह स्थिति दल बदलू नेताओं के कारण कार्यकर्ताओं के बीच बनी है। जबकि दोनों पार्टियों द्वारा नाराज कार्यकर्ताओं को मनाने और उन्हें एकजुट करने का बूथ लेवल पर प्लान बनाया गया है। आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी ने 25 और कांग्रेस ने 9 दल बदलू नेताओं को टिकट दिया है।
भाजपा और कांग्रेस के सामने एक जैसी चुनौती
कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए सिंधिया समर्थकों के साथ दूसरे नेता भी भाजपा के टिकट से दल बदल के बाद चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में दल बदलू नेताओं के साथ आए उनके कार्यकर्ता भाजपा के कार्यकर्ताओं के साथ कितना घुल मिल गए हैं। यह एक बड़ा सवाल है। इसी तरह भाजपा के कई दलबदलू नेता भी कांग्रेस के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं। ऐसे में उन नेताओं के समर्थक भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आ गए हैं। कांग्रेस में भी भाजपा की तरह ही स्थिति है। ऐसे में दोनों पार्टियों का जोर कार्यकर्ताओं पर फोकस है।
भाजपा ने 25 तो कांग्रेस ने 9 को दिया टिकट
28 विधानसभा में से 9 विधानसभा पर जिस प्रत्याशी की जीत होगी, वो दलबदल करने वाला नेता ही होगा। इन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस दोनों ने दल बदल कर पार्टी में शामिल हुए लोगों को टिकट दिए हैं। कुल मिलाकर वो दल बदल के लिए जाना जाएगा। कांग्रेस के 25 विधायकों ने अपना दल छोड़कर भाजपा की सदस्यता ली है। इन परिस्थितियों में 9 सीटें हैं, जिन पर कोई भी जीते, लेकिन विधायक दल बदल करने वाला होगा।
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