कोलकाता । पार्टी नेतृत्व (Party Leadership) ने पश्चिम बंगाल के गिरफ्तार मंत्री (Arrested West Bengal Minister) ज्योतिप्रिय मलिक (Jyotipriya Malik) से किनारा कर लिया (Distanced Itself) । करोड़ों रुपये के राशन घोटाले में चार दिन पहले तक खुद को पाक-साफ बताने वाले पश्चिम बंगाल के गिरफ्तार मंत्री ज्योतिप्रिय मलिक आत्मविश्वास सोमवार को गायब नजर आया।
कोलकाता की एक विशेष अदालत में पेश किए जाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के साल्ट लेक कार्यालय से बाहर लाए जाने के दौरान राज्य के वन मंत्री और पूर्व खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने स्पष्ट रूप से सहमे हुए कहा, “मैं बिल्कुल ठीक नहीं हूं।” सोमवार को उनकी प्रतिक्रिया पूरी तरह से अलग थी जो उन्होंने सिर्फ चार दिन पहले प्रदर्शित की थी जब उन्हें मेडिकल जांच के लिए ईडी के कार्यालय से बाहर लाया जा रहा था।
हाल ही में ईडी द्वारा गिरफ्तार किए गए मलिक ने पश्चिम बंगाल में राशन वितरण मामले में उनकी कथित संलिप्तता के आरोप पर कहा था, “बस चार दिन इंतजार करें और मैं मुक्त हो जाऊंगा। मुझे भाजपा ने फंसाया है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को सब कुछ पता है।” हालाँकि, उनकी टिप्पणियाँ उलटी पड़ गईं और तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने उनसे दूरी बनानी शुरू कर दी।
जहां पार्टी के लोकसभा सदस्य कल्याण बंदोपाध्याय ने इस मामले में मुख्यमंत्री और अभिषेक बनर्जी को घसीटने के लिए मलिक की खुले तौर पर आलोचना की, वहीं पार्टी की एक अन्य सांसद डॉ. काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि पार्टी व्यक्तिगत स्तर पर किसी की ओर से किसी भी अनियमितता की जिम्मेदारी नहीं लेगी।
अब सत्ता के गलियारे में यह सवाल घूम रहा है कि क्या मलिक का महज चार दिनों के अंदर केस से जल्द राहत का भरोसा खोना यह दिखाता है कि उनकी समझ में आ गया है कि संकट की इस घड़ी में पार्टी नेतृत्व उनके साथ नहीं है। अब सभी की निगाहें इस मामले में विशेष अदालत में होने वाली कार्यवाही पर हैं, खासकर उन पुख्ता सबूतों पर जो केंद्रीय एजेंसी के वकील अदालत में पेश करेंगे।
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