भोपाल। प्रदेश में उपचुनाव अक्टूबर के अंत में होना लगभग तय है। भाजपा व कांग्रेस ने चुनाव की तैयारियां शुरू कर दी हैं। ग्वालियर-चंबल अंचल की 14 विधानसभा सीटों पर चुनाव होना हैं। भाजपा दोनों अंचलों के महा सदस्यता अभियान से चुनावी रण में उतर गई है। वहीं कांग्रेस ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के नगर आगमन पर कड़ा विरोध कर जता दिया है कि सरकार जाने के बाद भी उसने अभी हार नहीं मानी है। वह बराबरी से लोकतंत्र के आंगन में सत्ता के लिए पूरी ताकत से संघर्ष करेगी। भाजपा के सदस्यता अभियान से दोनों ग्वालियर-चंबल अंचल की विधानसभा सीटों के समीकरण बदल गए हैं। राजनीतिज्ञ अब बदले हुए समीकरणों में नफा-नुकसान का आकलन कर रहे हैं।
सियासी मंच से लेकर गांव तक की राजनीतिक तस्वीर बदली
पिछले 6 माह में ग्वालियर-चंबल की सियासत ने रंग बदल लिया है। राजनीतिक मंचों व चेहरों के साथ पथ प्रदर्शकों की तस्वीरें भी बदल गई हैं। भाजपा के मंच पर अब तिरंगा दुपट्टा डालकर घूमने वाले नजर आ रहे हैं। कल तक गांधी परिवार की जय-जयकार करने वाले अब श्यामाप्रसाद मुखर्जी व पं. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद की बात कर रहे हैं। भाजपा इसे परिवार का विस्तार बता रही है। वर्षों से गायब कांग्रेसियों के चेहरे दफ्तरों व कांग्रेस के मंचों पर नजर आने लगे हैं। कांग्रेस नेता इसे महल की गुलामी से मुक्ति बताकर कह रहे हैं कि गांधीवादी सिद्धांतों का पालन करने वाले असली कांग्रेसी अब घरों से बाहर निकल आए हैं, जो कि पार्टी का मूल कार्यकर्ता है। इन स्वाभिमानी कार्यकर्ताओं ने कभी महल की पालकी उठाना स्वीकार नहीं किया, लेकिन अपनी विचारधारा भी नहीं बदली। भाजपा के सदस्यता अभियान से दोनों अंचलों के जिला, तहसील व गांवों की पगडंडियों की तस्वीर बदल गई है। इस बदलाव में जो कार्यकर्ता अपनी पहचान के लिए तिरंगा दुपट्टा डालकर घूमते थे, वो अब भगवा दुपट्टे डाले घूम रहे हैं। इसी तरह से मतदान केंद्र स्तर पर एक दूसरे के विरोधी थे, अपने-अपने दल के एक-एक वोट के लिए एक-दूसरे से लड़ जाते थे। वे अब एक साथ बैठकर चुनाव की मंत्रणा कर रहे हैं।
विधानसभा सीटों के भी समीकरण बदले
भाजपा के सदस्यता अभियान से यह परिवर्तन दोनों अंचलों की सभी विधानसभा सीटों में साफ नजर आने लगा है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ ग्वालियर, ग्वालियर पूर्व व डबरा सीट से निर्वाचित हुए प्रद्युम्न सिंह तोमर, मुन्नाालाल गोयल व इमरती देवी ने कमल नाथ सरकार को गिराने के लिए विधानसभा की सदस्यता से 6 माह पूर्व इस्तीफा दे दिया था। जिसके कारण इन तीनों विधानसभा सीटों पर चुनाव होना हैं। हालांकि भाजपा ने एक तरह से तीनों विधानसभा क्षेत्रों में अपने उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। कांग्रेस ने अभी तक आधिकारिक रूप से तीनों विधानसभा क्षेत्रों से अपने उम्मीदवार घोषित नहीं किए हैं, लेकिन कांग्रेस उम्मीदवारों के चेहरे साफ नजर आने लगे हैं। ग्वालियर व डबरा विधानसभा क्षेत्र से उम्मीदवार तय हैं। महल से जुड़े होने के बाद भी ग्वालियर विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस में एक साथ रहते हुए प्रद्युम्न सिंह तोमर के समकक्ष खड़े होकर राजनीतिक करने वाले शख्स पर दांव लगाने की तैयारी है। इस क्षेत्र से कांग्रेस की ओर से ब्राह्मण उम्मीदवार तय माना जा रहा है। डबरा से इमरती देवी की टक्कर में बसपा से हाल ही में कांग्रेस में आईं महिला नेत्री से करने का लगभग फैसला कर चुकी है। ग्वालियर पूर्व को लेकर कांग्रेस अब भी गफलत में है। कांग्रेसियों की नजरें मुन्नाालाल गोयल को टक्कर देने वाले उम्मीदवार को तलाश रही है। कांग्रेस पूर्व से भाजपा नेता पर दांव लगाने पर विचार कर रही है। सदस्यता अभियान के बाद इन संभावित उम्मीदवारों ने अपने नफा-नुकसान का आकलन शुरू कर दिया है। पाला बदल लेने के कारण कई राजनीतिक दोस्त प्रतिद्वंदी दल में चले जाने के कारण सियासी दुश्मन की श्रेणी में आ गए हैं। नए-पुराने कार्यकर्ताओं के बीच कैमिस्ट्री नहीं बनने के कारण वे एक-दूसरे पर भरोसा नहीं कर पा रहे हैं। इसलिए उपचुनाव में दोनों दलों के लिए राहें आसान नहीं हैं।
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