माले (Male)। मालदीव (Maldives) की राजनीति में पिछले साल राष्ट्रपति चुनाव (Presidential election .) के बाद से काफी उतार चढ़ाव देखा गया है। अब भारत (India) का पड़ोसी देश (Neighboring Country) 20वें संसदीय चुनाव (20th Parliamentary elections) के लिए पूरी तरह तैयार है। आज मालदीव में चुनाव होना है, जिसके नतीजे कल यानी सोमवार को घोषित किए जा सकते हैं। हालांकि, यह चुनाव राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू (President Mohammad Muizzu) के लिए चीन की ओर झुकाव और भारत विरोधी होने की परीक्षा है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान उन्होंने अपना पूरा प्रचार इंडिया आउट के नाम पर चलाया। संसदीय चुनाव के लिए भी प्रचार में उन्होंने भारत विरोध का सहारा लिया। जिस कारण यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण हो गया है।
करीब तीन लाख लोग करेंगे वोट
बता दें, मालदीव में रविवार को करीब 2,85,000 लोग मतदान कर सकेंगे और अगले दिन तक परिणाम आने की संभावना है। कुल 93 सीटों पर चुनाव होना है। वर्तमान में विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी का 41 सीटों के साथ पीपुल्स मजलिस (संसद) में दबदबा कायम है। संसद में बहुमत न होने से मुइज्जू के लिए किसी भी कानून को बनाना मुश्किल हो रहा है।
देश की राजनीति काफी दिलचस्प
वैश्विक पूर्व-पश्चिम शिपिंग लेन देश की 1,192 छोटे द्वीपों की श्रृंखला से गुजरती हैं, जो भूमध्य रेखा के पार लगभग 800 किलोमीटर (500 मील) तक फैली हुई है। मालदीव मुख्य रूप से दक्षिण एशिया में सबसे महंगे छुट्टी स्थलों में से एक के रूप में जाना जाता है। फिलहाल देश की राजनीति काफी दिलचस्प बनी हुई है। 45 वर्षीय राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पिछले सितंबर में चीन समर्थक पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन के प्रॉक्सी के रूप में राष्ट्रपति चुनाव जीता था।
भारत विरोधी बनना पड़ेगा भारी?
मुइज्जू लगातार चीन समर्थक होने का उदाहरण पेश करते रहे हैं। इस बात का प्रमाण उन्होंने जनवरी में बीजिंग का दौरा करके दिया था, जहां कई समझौतों का करार किया गया था। वे मालदीव के पहले राष्ट्रपति बने थे, जिन्होंने दिल्ली से पहले बीजिंग का रुख किया। इतना ही नहीं, इस महीने उन्होंने चीनी राज्य के स्वामित्व वाली कंपनियों के साथ कई अनुबंध किए। वहीं, मालदीव के जलक्षेत्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण करने की अनुमति से पीछे हटने और नौसैनिक हेलिकॉप्टरों का संचालन करने वाले सैनिकों को बाहर करने का फरमान भी राष्ट्रपति बनते सुनाया था। इंडिया आउट अभियान के दम पर चुनाव जीतने वाले मुइज्जू कई बार भारत के खिलाफ टिप्पणी कर चुके हैं। अब लोगों में इसका कितना असर है, यह चुनाव परिणाम तय करेंगे।
मुइज्जू के एक वरिष्ठ सहयोगी का कहना है, ‘रविवार के चुनाव में पार्टियां वोटों के लिए प्रचार कर रही हैं, इसलिए भू-राजनीति पृष्ठभूमि में है। वह भारतीय सैनिकों को वापस भेजने के वादे पर सत्ता में आए थे और वह इस पर काम कर रहे हैं। सत्ता में आने के बाद से संसद उनके साथ सहयोग नहीं कर रही है।’ हालांकि, भारत यही चाहेगा कि मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) ही इस चुनाव में जीत दर्ज करे। एमडीपी को भारत समर्थक माना जाता है। एमडीपी के नेता और पूर्व विदेश मंत्री अब्दुल्ला शाहिद ने अपनी पार्टी की जीत का दावा किया है।
बहुमत हासिल करना मुश्किल
मुइज्जू की पीपुल्स नेशनल कांग्रेस (पीएनसी) सहित सभी मुख्य राजनीतिक दलों में बंटवारे से किसी भी एक पार्टी के लिए बहुमत हासिल करना मुश्किल हो सकता है। लेकिन इस सप्ताह मुइज्जू को एक अलग उम्मीद मिली। दरअसल, उनके गुरु यामीन को फिलहाल भ्रष्टाचार के मामले में राहत मिली है। राजधानी माले की एक अदालत ने भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों में फिर से मुकदमा चलाने का आदेश दिया, जिसमें यामीन को 2018 में फिर से चुनाव हारने के बाद जेल भेज दिया गया था।
यामीन ने सत्ता में रहते हुए बीजिंग के साथ करीबी संबंध का भी समर्थन किया था, लेकिन उनकी सजा के कारण वह पिछले साल के राष्ट्रपति चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने में असमर्थ रहे। इसलिए उन्होंने मुइज्जू को मैदान में उतारा था।
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