नई दिल्ली (New Delhi)। केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के अधिकारियों (Officers of Central Paramilitary Forces) को मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम (एमसीटीपी) (Mid Career Training Program (MCTP)) के अंतर्गत प्रशिक्षण लेने के लिए विदेशों में नहीं भेजा जा रहा। सीएपीएफ अफसर, सुरक्षा के हर मोर्चे पर तैनात हैं, इसके बावजूद उन्हें दूसरे मुल्कों में ट्रेनिंग का अवसर नहीं दिया जाता। आईपीएस अधिकारियों को विदेश में ट्रेनिंग लेने के कई अवसर मिल जाते हैं। गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee on Home Affairs) की 242वीं रिपोर्ट में इस विषय को लेकर सवाल उठाया गया है। समिति ने सीएपीएफ अधिकारियों को लेकर यह महत्वपूर्ण सिफारिश भी की है कि केंद्रीय गृह मंत्रालय को ‘करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम’ के तहत इन बलों के अधिकारियों को विदेशों में प्रशिक्षण दिलाना, इसे ट्रेनिंग कार्यक्रम का हिस्सा बनाया जाना चाहिए।
सीएपीएफ की सुरक्षा ड्यूटी में बड़ी भूमिका
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत आने वाले अर्धसैनिक बलों को सुरक्षा से जुड़ी हर ड्यूटी सौंपी जाती है। देश में चुनाव है या किसी राज्य में दंगा हुआ तो वहां पर सीएपीएफ को भेजा जाता है। खासतौर से इसमें सीआरपीएफ की एक बड़ी भूमिका है। भारत-चीन बॉर्डर की सुरक्षा में तैनात आईटीबीपी, पाकिस्तान और बांग्लादेश से लगती सीमा की रक्षा कर रही बीएसएफ और नेपाल व भूटान बॉर्डर पर एसएसबी तैनात रहती है। इनके अतिरिक्त सीआईएसएफ व असम राइफल जैसे बल भी अपनी ड्यूटी बेहतर तरीके से कर रहे हैं। एनडीआरएफ में भी सीएपीएफ के जवान और अधिकारी, प्रतिनियुक्ति पर भेजे जाते हैं। सीआरपीएफ को तो जम्मू-कश्मीर में एंटी टेररिस्ट ऑपरेशन, नक्सल प्रभावित राज्यों में माओवादियों के खिलाफ ऑपरेशन और उत्तर-पूर्व के उग्रवादियों से भी लोहा लेना पड़ता है। हालांकि इन ऑपरेशनों में अन्य बलों की यूनिट भी रहती हैं, लेकिन उनकी तैनाती बहुत सीमित मात्रा में होती है।
जवानों को ट्रेनिंग का समय नहीं
गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति ने मंत्रालय से पूछा था कि क्या सीएपीएफ अधिकारियों को मिड करियर ट्रेनिंग प्रोग्राम (एमसीटीपी) के तहत ट्रेनिंग के लिए विदेश में भेजा जाता है। गृह मंत्रालय ने अपने जवाब में कहा, इन अधिकारियों को प्रशिक्षण के लिए विदेश नहीं भेजा जाता। समिति की रिपोर्ट में यह भी खुलासा भी हुआ है कि इन बलों के जवानों को अन्य कई तरह की ट्रेनिंग का भी समय नहीं मिल रहा। वजह, इनकी तैनाती अधिक होने के कारण इन्हें ट्रेनिंग नहीं मिल पाती। ड्यूटी कंपनी और ट्रेनिंग कंपनी, इसके लिए जो नियम बनाया गया था, वह ठीक तरह से लागू नहीं हो पा रहा है। समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि सीखने का सर्वश्रेष्ठ अभ्यास, मसलन फॉरेंसिक, नारकोटिक्स या समकालीन समय में अपराध की नई तकनीकें, इन सबके मद्देनजर सीएपीएफ अधिकारियों को दूसरे मुल्कों में ट्रेनिंग दिलाना अहम बन जाता है। केंद्रीय गृह मंत्रालय को इन बलों के ट्रेनिंग शेड्यूल में विदेश ट्रेनिंग कंपोनेंट शामिल करना चाहिए।
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