नई दिल्ली. अदाणी मुद्दे (Adani issue) पर संसद (Parliament) भवन के अंदर विपक्ष का प्रदर्शन जारी है। विपक्षी दलों के नेता गुरुवार को तख्तियां (placards) लेकर प्रदर्शन कर रहे थे, जिसमें लिखा था- देश बिकने नहीं (country be sold) देंगे। इसके साथ ही उन्होंने अदाणी मामले पर संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की मांग को दोहराने के लिए नारेबाजी भी की। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी समेत कांग्रेस, द्रमुक और लेफ्त पार्टियों के सांसदों ने संविधान सदन के सामने मकर द्वार के पास तख्तियां लेकर एकजुट हुए।
संसद भवन के अंदर एकत्रित विपक्षी पार्टियों के सांसदों ने मोदी-अदाणी के बीच मिलीभगत के खिलाफ मारेबाजी की और मामले की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की। बुधवार को संसद परिसर में कई विपक्षी सांसदों ने एक हाथ में तिरंगे वाला कार्ड और दूसरे हाथ में गुलाब के फूल के साथ अपने भाजपा के समकक्षों का स्वागत किया। उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी से अदाणी मुद्दा समेत कई अन्य मुद्दों पर सदन में चर्चा करने का आश्वासन देने की अपील की।
मंगलवार को विपक्षी सांसद संसद भवन में काले झोले (बैग) लेकर आए थे, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उद्योगपति गौतम अदाणी के कार्टून छपे थे और सामने की तरफ मोदी-अदाणी भाई-भाई लिखा था। इससे पहले सोमवार को लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी, कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे अन्य सांसदों के साथ संसद के मकर द्वार के बाहर मोदी अदाणी एक है और हमें न्याय चाहिए के नारे भी लगाए। इस दौरान राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर एक नकली साक्षात्कार आयोजित किया था, जिसमें कांग्रेस सदस्य पीएम मोदी और उद्योगपति गौतम अदाणी के मुखौटे पहने हुए थे। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), समाजवादी पार्टी (सपा) और आम आदमी पार्टी (आप) इस प्रदर्शन का हिस्सा नहीं थे।
क्या है अदाणी मुद्दा?
भारत के दूसरे सबसे अमीर शख्स गौतम अदाणी सहित सात लोगों पर अमेरिका के न्याय विभाग ने आरोप लगाया है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश और ओडिशा सरकार के अधिकारियों को महंगी सौर उर्जा खरीदने के लिए रिश्वत दी। इससे अदाणी समूह को अदाणी समूह को अगले बीस वर्षों में दो अरब डॉलर से ज्यादा का मुनाफा हो सकता था। हालांकि, अदाणी समूह ने इन आरोपों को खारिज किया है और कहा है कि अमेरिकी अभियोजकों के आरोप बेबुनियाद हैं और समूह सभी कानूनों का पालन करता है।
अमेरिकी अधिकारियों ने कथित साजिश के संबंध में कनाडाई पेंशन फंड मैनेजर सीडीपीक्यू (कैस डी डेपो एट प्लेसमेंट डू क्यूबेक) के तीन पूर्व कर्मचारियों साइरिल कैबेनिस, सौरभ अग्रवाल और दीपक गुप्ता पर भी आरोप लगाए हैं। इसमें कहा गया कि उन्होंने ई-मेल नष्टकर और अमेरिकी सरकार को गलत जानकारी देने के लिए राजी होकर रिश्वत के मामले की जांच में बाधा पहुंचाई। बुनियादी ढांचा परियोजनाओं में निवेश करने वाला सीडीपीक्यू अदाणी की कंपनियों में शेयरधारक है।
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