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    संसदः निर्धारित समय से पूर्व खत्म हो रहा सत्र, इन मुद्दों पर नए सिरे से जंग छिड़ने के आसार

  • December 19, 2022

    नई दिल्ली। निर्धारित समय (scheduled time) से पूर्व खत्म हो रहे संसद के शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) में तवांग में भारत-चीन सेना के बीच हुई झड़प (Tawang India-China army clash) और बहु राज्य सहकारी समिति संशोधन बिल (Multi State Cooperative Societies Amendment Bill) पर सरकार और विपक्ष के बीच नए सिरे से जंग छिड़ने के आसार हैं। विपक्ष संसद के दोनों सदनों में तवांग मामले में बहस के अलावा सहकारी समिति बिल को स्थायी समिति के समक्ष भेजने पर अड़ा है।

    गौरतलब है कि सत्र को 29 दिसंबर की जगह 23 दिसंबर को ही खत्म करने पर सरकार और विपक्ष के बीच सैद्धांतिक सहमति बन गई है। तवांग में हुई झड़प के मामले में विपक्ष की रणनीति लद्दाख में कथित चीनी घुसपैठ पर सरकार को घेरने की है। तवांग का मामला सामने आने के बाद से विपक्ष खासतौर से राज्यसभा में जहां लगातार हंगामा कर रहा है, वहीं इस मुद्दे पर सरकार पर चर्चा से भागने का आरोप लगा रहा है। सत्र के आखिर में विपक्ष की योजना इस मुद्दे पर सरकार पर सियासी बढ़त हासिल करने की है।


    संविधान आदेश बिलों पर सहमति
    सत्र में विभिन्न राज्यों की अलग-अलग जातियों को अलग-अलग अनुसूचित जाति-जनजाति में शामिल करने से जुड़े संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (द्वितीय संशोधन) विधेयक, 2022 और संविधान (अनुसूचित जनजाति) आदेश (तीसरा संशोधन) विधेयक, 2022 पर सरकार और विपक्ष में सहमति है। ऐसे में इन बिलों के कानूनी जामा पहनने में कोई अड़चन नहीं है।

    पीएम चीन का नाम नहीं लेते, संसद में सीमा मुद्दे पर जवाब दें : कांग्रेस
    दौसा। कांग्रेस ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चीन से लगती सीमा के हालात पर संसद में बहस से बचने का आरोप लगाया। कांग्रेस ने कहा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह को नहीं, प्रधानमंत्री को इस मुद्दे पर जवाब देना चाहिए लेकिन प्रधानमंत्री चीन का नाम तक नहीं लेते। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान जारी कर पूछा कि दो साल की लंबी सैनिकों की वापसी के बाद, आखिर ऐसा क्या हुआ कि चीन ने तवांग के यांग्त्से क्षेत्र में भारतीय चौकी पर कब्जा करने की कोशिश की। एजेंसी

    सहकारी समिति बिल के जरिए सहकारी समितियों में व्यापक सुधार की राह खुलेगी। बिल के कानूनी जामा पहनने के बाद सभी सहकारी समितियों में लोकपाल, सूचना अधिकारी की नियुक्ति अनिवार्य होगी। निश्चित समय सीमा में निष्पक्ष चुनाव कराने होंगे। इसके अलावा समितियों में अनुसूचित जाति-जनजातियों और महिलाओं को भागीदारी देनी होगी।

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