नई दिल्ली (New Delhi)। संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament winter session) तय समय से एक दिन पहले बृहस्पतिवार को ही खत्म हो गया। नए संसद भवन (New Parliament House) में आयोजित पहला और वर्तमान लोकसभा का अंतिम औपचारिक सत्र (Last formal session of the current Lok Sabha) सुरक्षा चूक (Security lapse), उपराष्ट्रपति की मिमिक्री (Vice President mimicry) पर उपजे विवाद और बड़ी संख्या में हुए विपक्षी सांसदों के निलंबन (Opposition MPs suspension) के नाम रहा। इस सत्र ने लोकसभा चुनाव से पहले सरकार और विपक्ष के संबंधों में आई खटास और दूरी को और बढ़ा दिया। हालांकि इस दौरान देश के आपराधिक कानून में बदलाव लाने वाले तीन और दूरसंचार क्षेत्र में बदलाव लाने वाले अहम विधेयक समेत 18 विधेयक पारित किए गए।
पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के अगले दिन से शुरू हुए सत्र का पहला हफ्ता शांति से बीता। हालांकि संसद पर आतंकी हमले के बरसी के दिन हुई सुरक्षा चूक से सियासी महाभारत शुरू हो गया। विपक्ष ने इसे बड़ा मुद्दा बनाते हुए विस्तृत चर्चा के साथ गृह मंत्री अमित शाह के बयान की मांग की। इस पर हुए विवाद के चलते दोनों सदनों से विपक्ष के रिकॉर्ड 146 सांसद निलंबित हुए।
146 सांसदों को किया गया निलंबित
लोकसभा में कार्यवाही के अंतिम दिन तीन सांसदों के निलंबन के साथ ही दोनों सदनों में निलंबित सांसदों की संख्या 146 हो गई। इनमें लोकसभा के 112 और राज्यसभा के 34 सांसद शामिल हैं। चार बैठकों में कांग्रेस के 60, डीएमके के 21, जदयू के 14, टीएमसी के 21, सपा के चार, बसपा, आईयूएमएल, झामुमो, वीसीके, आरएसपी के एक-एक, एनसीपी के 4, सीपीएम के 5, सीपीआई के 3, एनसी के 2 सांसद निलंबित किए गए।
राज्यसभा में 65 और लोकसभा में 62 घंटे हुआ काम
शीतकालीन सत्र में राज्यसभा में 65 घंटे तो लोकसभा में 61 घंटे 50 मिनट काम हुआ। राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ ने अफसोस जताते हुए कहा कि विपक्ष की ओर से कार्यवाही बाधित करने के कारण लगभग 22 घंटे बर्बाद हुए। धनखड़ ने कहा, सदन की कुल उत्पादकता 79 प्रतिशत रही। 14 बैठकों के दौरान सत्ता पक्ष व विपक्षी बेंचों के 2,300 से अधिक प्रश्नों को संबोधित किया गया। कुल 17 विधेयक पारित हुए। लोकसभा में 74 प्रतिशत उत्पादकता दर्ज की गई। 14 बैठकें हुईं। सत्र में 18 विधेयक पारित किए गए।
बड़े बदलाव लाने वाले विधेयक पास
शीतकालीन सत्र में देश के आपराधिक कानून में आमूल-चूल बदलाव लाने वाले भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय साक्ष्य विधेयक पारित हुए। इसके अलावा दूरसंचार क्षेत्र के ढांचे में बदलाव लाने वाले दूरसंचार विधेयक और मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले विधेयक भी चर्चित रहे। डाकघर विधेयक, प्रेस एंड रजिस्ट्रेशन विधेयक भी पारित किए गए।
जम्मू-कश्मीर में बदलाव को अमली जामा पहनाया
जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म करने के बाद चार विधेयकों के माध्यम से राज्य के राजनीतिक-प्रशासनिक ढांचे में व्यापक बदलाव लाने के प्रति सरकार प्रतिबद्ध नजर आई। राज्य के विधानसभा की सीटों की संख्या ही नहीं बढ़ाई गई, बल्कि कश्मीरी पंडितों और पीओके का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया। एक तिहाई संख्या महिलाओं के लिए सीटें आरक्षित करने वाले विधेयक को कानूनी जामा पहनाया गया। कई वंचित जातियों को ओबीसी और एसटी वर्ग में शामिल किया गया।
उपराष्ट्रपति की अवमानना ने आग में डाला घी
सुरक्षा में चूक और तकरार के कारण विपक्षी सांसदों के निलंबन से उपजे विवाद की आग में तृणमूल सांसद कल्याण बनर्जी का सभापति जगदीप धनखड़ की मिमिक्री करने वाले वीडियो ने घी डाल दिया। इस मामले में वीडियो बनाते देखे गए कांग्रेस नेता राहुल गांधी निशाने पर आए। धनखड़ ने इसे जाट बिरादरी, सांविधानिक पद और किसान परिवार का अपमान बताते हुए राज्यसभा में कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा।
भाजपा ने किया प्रदर्शन
धनखड़ के समर्थन में भाजपा नेताओं ने जंतर-मंतर पर काली पट्टी बांधकर प्रदर्शन किया। नेताओं ने कहा, सांविधानिक पद पर बैठे व्यक्ति का अपमान कर विपक्ष ने ओछी राजनीति का परिचय दिया है। एक गरीब किसान के बेटे का इतने बड़े पद पर बैठना कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं है। मन में न लोकतंत्र का और न सांविधानिक पदों का सम्मान है।
स्पीकर से मिले पीएम मोदी…
लोकसभा अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को स्पीकर ओम बिरला से मुलाकात की। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी, बीजद के भतृहरि महताब और शिवसेना के राहुल शेवले समेत कुछ चुनिंदा नेता ही मौजूद रहे।
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