श्योपुर: एक मां-बाप बड़े जतन से अपने बच्चे को पालते हैं. उसकी छोटी से छोटी जरुरत को पूरा करना, उसे पाल-पोसकर बड़ा करने में ही मां बाप की सारी उम्र कट जाती है. उन्हें उम्मीद रहती है कि अभी वो अपनी सारी ख्वाहिशें बच्चे के पीछे इग्नोर कर रहे हैं. यही बच्चा आगे जाकर बुढ़ापे में उनका सहारा बनेगा. लेकिन कुछ बदनसीब लोगों को अपने जवान बच्चों की अर्थी को कंधे पर उठाना पड़ता है. ऐसा ही नसीब निकला मध्यप्रदेश के श्योपुर में रहने वाले एक मां-बाप का.
श्योपुर के लहचौड़ा में रहने वाले एक घर में तब मातम छा गया, जब उन्होंने सोशल मीडिया पर एक सड़क हादसे की खबर पढ़ी. राजस्थान के सवाई माधोपुर में हादसे में एक युवक गंभीर रुप से घायल हो गया था. मध्यप्रदेश में रहने वाले परिवार ने जब युवक को देखा तो उसकी पहचान अपने बेटे के तौर पर की. लेकिन तब तक जयपुर में इलाज के दौरान युवक की मौत हो गई. परिवार लाश को लेकर आया और उसका अंतिम संस्कार कर दिया. लेकिन तेरहवीं के दिन अचानक उनका बेटा जिंदा हो गया. आइये बताते हैं आगे का पूरा मामला.
29 मई को श्योपुर के लहचौड़ा में रहने वाले दीनदयाल शर्मा सवाई माधोपुर में हुए हादसे में मृतक को अपना बेटा सुरेंद्र मानकर घर ले आए. उन्होंने रीति-रिवाज से अपने बेटे का अंतिम संस्कार किया. उसके बाद परिवार तेरहवीं की तैयारी कर रहा था. अचानक मृतक सुरेंद्र के बड़े भाई देवेंद्र को एक वीडियो कॉल आया. जब उसने कॉल रिसीव किया, तो हैरान रह गया. कॉल के दूसरी तरफ उसका भाई था, जो जिंदा था.
इस मामले के बारे में सुरेंद्र के चाचा ने बताया कि उनके परिवार को कन्फ्यूजन हो गई थी. दरअसल, सुरेंद्र जयपुर में काम करता था. कई दिनों से उसका फोन बंद आ रहा था. इधर जब दुर्घटना का पता चला तो उनके मन में आशंका हुई. मृतक का चेहरा सुरेंद्र से मिल रहा था. इस वजह से वो लाश को ले आए और उसका अंतिम संस्कार कर दिया. इतना ही नहीं, ब्राह्मण भोज की रस्म भी निभा ली. बस तेरहवीं की तयारी चल ही रही थी कि उनका बेटा जिंदा हो गया.
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